Jairam Thakur Love Story: वैलेंटाइन डे को विश्व भर में प्यार के दिन के तौर पर मनाया जाता है. यूं तो प्यार करने का कोई खास दिन नहीं होता, लेकिन यह दिन प्यार के इजहार को आसान बनाने का काम जरूर करता है. आज वैलेंटाइन डे के मौके पर हम आपको हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) की उस खास लव स्टोरी के बारे में बताएंगे, जो शुरू तो राजनीति के मंच से हुई लेकिन संघर्ष भरी रही. इस कहानी में हिमाचल के लड़के का कर्नाटक की लड़की से प्यार, राजपूत होकर ब्राह्मण लड़की से शादी करने की हिम्मत दिखाना शामिल है. साथ ही शादी से पहले होने वाली पत्नी को संघर्ष के बारे में आगाह करने के साथ हर वह तत्व है, जो किसी भी प्रेम कहानी को पूरा करता है.
यह वह प्रेम कहानी है, जो न सिर्फ मुकम्मल हुई बल्कि राजनीति में भी सफल हुई. बात 90 के दशक की है. जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री हुआ करते थे. साल 1986 में विद्यार्थी परिषद के सह सचिव बनने के बाद उन्हें साल 1989 में जम्मू प्रभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जम्मू में ही जयराम ठाकुर की साधना राव से मुलाकात हुई. साधना राव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय कार्यकर्ता थीं. राजनीतिक तौर पर दोनों का परिचय हुआ. धीरे-धीरे दोस्ती बढ़ी और दोस्ती प्यार में बदल गई.
'संघर्ष भरी है राह, 10 बार सोचकर करना हां'
दोनों को मिलाने में उनकी समान विचारधारा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मां भारती के परम वैभव को शीर्ष पर ले जाने की विचारधारा ने भी दोनों को एक साथ लाने का काम किया. जयराम ठाकुर ने साधना राव के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि वे 10 बार सोचकर ही हां करें, क्योंकि उनका जीवन संघर्ष भरा रहने वाला है. उस वक्त जयराम ठाकुर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और चुनावी राजनीति में भी सफलता नहीं मिल सकी थी.
21 जून 1995 को हुई थी शादी
संघर्ष भरी राह सामने साफ नजर आ रही थी, लेकिन इसके बावजूद साधना राव ने प्यार की राह को चुना. 21 जून 1995 को जयराम ठाकुर साधना राव के साथ परिणय सूत्र में बंध गए. साधना राव अब साधना ठाकुर हो गईं. साधना ठाकुर एक ब्राह्मण परिवार से संबंध रखती थी और राजपूत परिवार में शादी करने के लिए उन्हें अपने परिवार का काफी मान मनौव्वल भी करना पड़ा.
शादी के बाद डॉक्टर बनीं साधना ठाकुर
जयराम ठाकुर ने साधना ठाकुर का गृह प्रवेश अपने पैतृक घर सिराज में ही करवाया था. दोनों ही एक-दूसरे के लिए बेहद भाग्यशाली साबित हुए. 21 जून को शादी के सात दिन बाद ही साधना ठाकुर को चिकित्सक के तौर पर नौकरी का अपॉइंटमेंट लेटर मिल गया. साधना ठाकुर अब डॉ. साधना ठाकुर बन गईं. डॉ. साधना ने सगाई के बाद वॉक इन इंटरव्यू में हिस्सा लिया था, जिसका परिणाम शादी के बाद आया.
साल 1998 में मिली पहली जीत
साल 1993 का विधानसभा चुनाव हार चुके जयराम ठाकुर एक बार फिर साल 1998 में चुनावी मैदान में थे. यहां उनके सामने कांग्रेस के मजबूत किले को ध्वस्त करने की चुनौती थी. इस किले को वह साल 1993 में नहीं ढाह सके थे. इस बार उन्होंने वह कमाल कर दिखाया. साल 1998 के बाद जयराम ठाकुर लगातार चुनाव जीतते रहे और कभी उन्हें विधानसभा चुनाव में हार नहीं मिली. हालांकि. जब उन्हें एक बार लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. तब एक बार के लिए उन्होंने सोचा कि शायद भविष्य की राजनीति गड़बड़ा सकती है, लेकिन डॉ. साधना ठाकुर का उन्हें भरपूर साथ मिला. जयराम ठाकुर साल 2017 में हिमाचल प्रदेश की राजनीति के सत्ता के शीर्ष पर भी पहुंचे और मुख्यमंत्री बने.
जयराम ठाकुर-साधना ठाकुर की दो बेटियां
डॉ. साधना ठाकुर मूल रूप से कर्नाटक के शिवमोगा की रहने वाली हैं. उनका परिवार जयपुर के राजस्थान में बसा है. डॉ. साधना के परिवार की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की है और उनका परिवार समाज सेवा से जुड़ा हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और डॉ. साधना ठाकुर की दो बेटियां हैं, जिनका नाम प्रियंका ठाकुर और चंद्रिका ठाकुर है. डॉ. साधना ठाकुर सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं, लेकिन उनका जयराम ठाकुर की राजनीति में सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं रहता है.