HP News: हिमाचल प्रदेश की राजनीति का जिक्र पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा है. छह दशक तक हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश के लोग 'राजा साहब' कहकर बुलाया करते थे. आज भी उनके चाहने वाले उन्हें 'राजा साहब' कह कर ही याद करते हैं.  


शिमला के सैंज में प्रतिमा स्थापित होगी
8 जुलाई 2021 को वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद 23 जून के दिन उनका दूसरा जन्मदिन मनाया जाना है. इसी मौके पर स्व. वीरभद्र सिंह की प्रतिमा शिमला के सैंज में स्थापित होगी. स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा का फर्स्ट लुक सामने आने के बाद हर कोई भाव विभोर नजर आ रहा है. 


वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद से ही लगातार उनकी प्रतिमा शिमला के रिज मैदान पर स्थापित करने की मांग उठाई जा रही थी. फिलहाल वीरभद्र सिंह की रिज मैदान पर लगने वाली प्रतिमा के लिए तो कुछ वक्त तक इंतजार करना होगा, लेकिन उस सैंज में लग रही इस प्रतिमा से उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. गौरतलब है कि अभी शिमला के रिज मैदान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई, हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा स्थापित है.


वीरभद्र सिंह का सियासी सफर 
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिला के सराहन में बुशहर रियासत के शाही परिवार में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की. छह बार हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 1962 से महासू लोकसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. 


पहली बार महासू से चुनकर तीसरी लोकसभा के सदस्य बने. वे जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे. साल 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए. इसके बाद शिमला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी लोकसभा क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया.


60 साल तक सक्रिय राजनीति में रहे वीरभद्र सिंह
अपने 60 साल के राजनीतिक सफर के दौरान उन्होंने कुल 14 चुनाव लड़े. वे आठ बार विधायक, छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2009, 2012 और 2017 में विधायक रहे. 1983, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2012 में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.


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