Shimla Vocational Teachers Protest: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह वोकेशनल शिक्षकों से मुलाकात करने पहुंचे. वोकेशनल शिक्षक बीते चार नवंबर से लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन कंपनियों के शोषण के खिलाफ किया जा रहा है.


विक्रमादित्य सिंह ने वोकेशनल शिक्षकों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह इस मुद्दे को कैबिनेट की मीटिंग में उठाएंगे. उन्होंने कहा है कि सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास उनका ध्येय है.


वोकेशनल शिक्षकों से मुलाकात करने वाले पहले मंत्री
खास बात है कि हिमाचल प्रदेश सरकार में विक्रमादित्य सिंह पहले ऐसे कैबिनेट मंत्री हैं, जो वोकेशनल शिक्षकों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे. बीते आठ दिनों में अब तक वोकेशनल शिक्षकों से कोई भी मंत्री या सरकार का नुमाइंदा बात करने के लिए नहीं पहुंचा था. ऐसे में जब विक्रमादित्य सिंह यहां मुलाकात करने के लिए पहुंचे, तो शिक्षकों ने उन्हें अपनी सारी मांगें बताई और मंत्रिमंडल बैठक में उनकी बात उठाने की मांग की.


वोकेशनल शिक्षकों ने विक्रमादित्य सिंह को याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री और विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह भी वोकेशनल शिक्षकों के लिए पॉलिसी लाने के पक्ष में थे. गौर हो कि यहां धरना-प्रदर्शन कर रही कई महिला शिक्षक ऐसी भी हैं, जो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बीते आठ दिनों से लगातार यहां बैठी हुई हैं.


कंपनी को खत्म कर स्थायी पॉलिसी की मांग
हिमाचल प्रदेश वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव नीरज बंसल ने बताया कि राज्य में वोकेशनल टीचर्स की संख्या 2 हजार 174 है. यह अध्यापक बीते 11 सालों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों को स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वोकेशनल टीचर्स हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में भी सेवाएं देते हैं. जिन कंपनियों के तहत वोकेशनल टीचर्स को भर्ती किया जाता है, वह काम के नाम पर उनका शोषण करने का काम कर रही हैं.


स्थाई पॉलिसी लाने की मांग उठा रहे वोकेशनल टीचर्स 
नीरज बंसल ने कहा कि सभी वोकेशनल टीचर्स राज्य सरकार से मांग उठा रहे हैं कि स्थायी पॉलिसी तैयार की जाए. साथ ही कंपनी के काम को पूरी तरह खत्म किया जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी ही पॉलिसी हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी है. इसके अलावा कई अन्य राज्य भी इसी पॉलिसी के तहत काम कर रहे हैं.


एसोसिएशन के महासचिव ने कहा कि उनकी मांग है कि हिमाचल प्रदेश सरकार कंपनियों के काम को खत्म कर प्रत्यक्ष भर्ती करे. राज्य सरकार प्रत्यक्ष तौर पर वोकेशनल टीचर्स को विभाग में सम्मिलित करे और कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया जाए.


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