Himachal News: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को लीगल करने पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा विचार करेगी. भांग की खेती को औषधीय उपयोग के लिए लीगल किया जा सकता है. हिमाचल प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी इस संबंध में शुक्रवार को रिपोर्ट पेश करेंगे. इसके लिए राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में 26 अप्रैल, 2023 को एक समिति का गठन हुआ था. इस समिति ने राज्य में भांग के औषधीय, वैज्ञानिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कैनाबिस (भांग) की खेती को वैध बनाने के मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए किया था. गौर हो कि इसमें चरस शामिल नहीं होगी.


सदन के समक्ष पेश हो चुकी है रिपोर्ट


कमेटी के गठित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिला का दौरा किया गया. इन सभी जिलों में बैठकें भी हुई. इसके अलावा कमेटी ने विभिन्न राज्यों में काफी दौरा किया. इनमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और केंद्र शासित जम्मू शामिल था. कमेटी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट 19 सितंबर 2023 को सदन के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई थी.


इस कमेटी की ओर से की गई सिफारिश को लागू करने और इसका रोड मैप तैयार करने के लिए 9 जनवरी, 2024 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव के अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया. इसकी बैठक 20 जून को आयोजित की गई थी. इस बैठक में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वाणिज्य विश्वविद्यालय से भांग के औषधीय, वैज्ञानिक और बागवानी उद्देश्यों पर टेक्निकल पेपर प्राप्त हुए हैं.


क्या कहा मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने ?


हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी रूप देने वाला बिल पेश होगा. उन्होंने कहा कि हमारी आबकारी नीति से हमें फायदा हुआ है. भांग की खेती को कानूनी रूप देने वाला बिल पेश होगा. इसे लीगल तरीके से उगाएंगे. लगातार ऋण बढ़ता जा रहा है. प्रदेश को वापस प्रगति की राह पर लाने के लिए सबको कोशिश करनी चाहिए. 


10 सदस्यों वाली कमेटी का गठन


भांग की खेती को औषधीय इस्तेमाल के लिए लीगल करने के लिए 10 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था. इसकी अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी कर रहे थे. इसके अलावा इस कमेटी में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव मोहनलाल ब्राक्टा, विधायक हंसराज, विधायक जनक राज, विधायक पूर्ण चंद ठाकुर, विधायक सुरेंद्र शौरी, विधायक केवल सिंह पठानिया, अधिवक्ता देवन खन्ना और राज्य कर एवं आबकारी के प्रशासनिक अतिरिक्त आयुक्त शामिल थे.


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