Virbhadra Singh Story: हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सियासत में भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है. हिमाचल प्रदेश की राजनीति को लेकर तो यह तक कहा जाता है कि प्रदेश की राजनीति वीरभद्र सिंह के बिना अधूरी है और वीरभद्र सिंह होली लॉज के बिना. होली लॉज वीरभद्र सिंह का निजी आवास रहा है. आज भी उनकी धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह यहीं रहते हैं. यह किस्सा भी होली लॉज से ही जुड़ा हुआ है.


अमरो देई के खास सफर की कहानी


बात 24 फरवरी की है. प्रदेश भर में जाड़े की ठंड से लोग परेशान थे. गरीबों के लिए यह परेशानी और भी ज्यादा थी. अब बात जब परेशानी सुलझाने की आई, तो पैर खुद-ब-खुद होली लॉज की तरफ मुड़ गए. वीरभद्र सिंह से मिलने गरीब महिला अमरो देई चंबा से शिमला पहुंची. अमरो देई को वीरभद्र सिंह ने ही स्कूल में जलवाहक की नौकरी दिलवाई थी. अब महिला की शिकायत थी कि स्कूल के कुछ लोग उसे तंग कर रहे हैं. उसका स्कूल भी बदल दिया गया है. जैसे-तैसे वे अपनी समस्या के समाधान के लिए शिमला पहुंची है. अब उनके 'राजा साहब' ही इस समस्या का समाधान करें.


मिनटों में कर दिया समस्या का समाधान 


उस वक्त होली लॉज में लगे जनता दरबार में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शशिकांत शर्मा बताते हैं कि वीरभद्र सिंह ने सबसे पहले महिला की समस्या का समाधान किया. फिर महिला से पूछ लिया कि अब उसे कहां जाना है? महिला ने बताया कि वह चुवाड़ी जाएगी, लेकिन उसके पास किराए के पैसों की तंगी है. इस पर वीरभद्र सिंह ने अमरो देई को एक हजार रुपए दिए और कहा कि वे चिंता न करें. वे खुद भी चंबा ही जा रहे हैं, जाते वक्त उन्हें भी चुवाड़ी छोड़ देंगे. महिला ने पूछा कि क्या आप भी बस में जा रहे हैं? इस पर वीरभद्र सिंह मुस्कुराए और कहा कि वे बस में नहीं बल्कि हेलीकॉप्टर में जाएंगे और उन्हें भी साथ ही ले जाएंगे.


वीरभद्र सिंह ने महिला को करवाई हवाई यात्रा 


बस फिर क्या था? वीरभद्र सिंह का कहना किसी लिखित आर्डर से कम नहीं था. महिला को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के काफिले में ही होली लॉज से अनाडेल हेलीपैड लाया गया और वह महिला हेलीकॉप्टर से ही मुख्यमंत्री के साथ चंबा के लिए रवाना हुई. हेलीकॉप्टर सिंहुता में लैंड होने के बाद वीरभद्र सिंह ने फिर निर्देश दिए कि महिला को काफिले की गाड़ी में ही चुवाड़ी छोड़कर आए. इस तरह महिला घर पहुंची.


न सिर्फ महिला का घर पहुंचने का किराया बचा बल्कि आते वक्त जो किराया लगा था, उसकी भरपाई भी वीरभद्र सिंह ने एक हजार रुपए देकर कर दी. यही नहीं, स्कूल में आ रही तंगी को भी वीरभद्र सिंह ने एक ही फोन पर सुलझा दिया. अगले दिन सिर पर पहाड़ी धाटू और गरम कपड़े पहन कर आई महिला की खबर सभी दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुई.


सभी की मदद किया करते थे वीरभद्र सिंह 


वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शशिकांत शर्मा बताते हैं कि वीरभद्र सिंह अक्सर ऐसे ही होली लॉज में आम जनता की मदद किया करते थे. न केवल वीरभद्र सिंह सरकारी स्तर पर समस्या का समाधान करवा देते थे, बल्कि निजी तौर पर भी मदद करने से पीछे नहीं हटते थे. जब कभी वीरभद्र सिंह से कोई पैसे मांगता, तो वे अपने चित-परिचित अंदाज में कोट की जेब में हाथ डालकर मददगार को आर्थिक सहायता भी जरूर देते थे. इसी तरह वीरभद्र सिंह होली लॉज और राज्य सचिवालय से जरूरतमंदों को सरकारी गाड़ी में बस स्टैंड तक भी छुड़वा दिया करते थे.  


प्रोफेसर डॉ. शशिकांत शर्मा बताते हैं कि वीरभद्र सिंह का यही अंदाज उन्हें सियासत में सबसे अलग बनाता था. यही वजह है कि आज उनके निधन के बाद भी वे लोगों के दिलों के 'राजा' के तौर पर हर किसी की स्मृति में जीवित हैं.


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