Himachal Pradesh में VVIP नंबर खरीद के नाम पर परिवहन विभाग ने साथ हुआ खेल! दूसरा बोलीदाता भी निकला फ्रॉड
हिमाचल प्रदेश में वीवीआईपी नंबर खरीद के लिए 17 फरवरी को ऑनलाइन बीडिंग हुई. इसमेें वीआईपी नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली लगी. वहीं अब ये करोड़ों की बोली फ्रॉड होती नजर आ रही है.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में वीवीआईपी नंबर HP-99-9999 खरीद के नाम पर परिवहन विभाग (Transport Department)के साथ खेल होता नजर आ रहा है. वीवीआईपी नंबर की बोली लगाने वाला दूसरा बोली दाता भी फ्रॉड निकला. पहली बोली लगाने वाले देस राज को तीन दिन का वक्त देने के बाद जब वह सामने नहीं आया, तो दूसरा मौका संजय कुमार को दिया गया.
अब संजय कुमार ने भी कुल राशि का 30 फीसदी भाग जमा नहीं करवाया है. इसके बाद परिवहन विभाग को नियमों के मुताबिक तीसरे स्थान पर बोली लगाने वाले धर्मवीर को तीन दिन का मौका देना पड़ा है.
17 फरवरी को हुई थी ऑनलाइन बीडिंग
17 फरवरी को वीवीआईपी नंबर की ऑनलाइन बीडिंग हुई. इसमेें वीआईपी नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली लगी. वीवीआईपी नंबर HP-99-9999 खरीदने के लिए देस राज ने 1 करोड़ 12 लाख 15 हजार 500 रुपये की बोली लगाई थी. दूसरे बोली दाता संजय कुमार ने 1 करोड़ 11 हजार रुपए की बोली लगाई थी. संजय कुमार ने ऑनलाइन बिडिंग में अपना पता ब्लॉक नंबर वन, हाउस नंबर 2, होटल पीटरहॉफ शिमला भरा था, जबकि देशराज ने अपना पता थाना 192, तहसील बद्दी, जिला सोलन भरा था. वहीं अब परिवहन विभाग ने तीसरे बोली दाता धर्मवीर सिंह को मौका दिया है. जिसने अपना पता वार्ड नंबर 4, गांव कंडवाल, तहसील नूरपुर, जिला कांगड़ा भरा है.
मामले में विभाग के साथ खेल हो गया!
वीवीआईपी नंबर के लिए करोड़ों की बोली अब फ्रॉड होती नजर आ रही है. एबीपी न्यूज ने पहले ही मामले में गड़बड़झाले की आशंका जाहिर की थी. बोली दाताओं के एड्रेस देखकर यह लग ही नहीं रहा था कि यह एड्रेस सही हो सकते हैं. हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी पहले ही इस बात की भनक थी कि यह बोलियां सही नहीं हैं. बावजूद इसके नियमों के मुताबिक बोली दाताओं को पैसा जमा कराने का समय देना पड़ा. अब सभी की निगाहें तीसरे बोली दाता धर्मवीर पर टिकी हुई हैं.
मामले की जांच करवा सकता है परिवहन विभाग
हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के पास परिवहन विभाग है. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इसे लेकर अब कड़ा कानून ला सकती है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों. साथ ही मामले की जांच एसडीएम को सौंपी जा सकती है ताकि पता चल सके कि आखिर ये बोलियां कहां से लगी. फिलहाल विभाग के पास कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोई सख्त नियम भी नहीं हैं.