CM Sukhu On White Paper: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) और मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी लगातार आर्थिक बदहाली की बात कर रहे हैं. बकौल सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. इसके अलावा कर्मचारियों की लंबित देनदारी से भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है. इस पर प्रदेश के सीएम सुक्खू ने श्वेत पत्र जारी करने की बात कही है.
गुरुवार को शिमला में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति सही नहीं है. आम लोग सूचना के अधिकार के तहत प्रदेश की आर्थिक स्थिति की जानकारी ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह तय किया है कि आर्थिक स्थिति को लेकर एक श्वेत पत्र जारी करेगी, ताकि जनता के सामने वास्तविक स्थिति आए. उन्होंने आर्थिक बदहाली का जिम्मेदार पूर्व सरकार के वक्त की जा रही फिजूलखर्ची और अनियमितताओं को बताया.
श्वेत पत्र का स्वागत- नेता प्रतिपक्ष
इस पर नेता प्रतिपक्ष और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि वे श्वेत पत्र लाए जाने का स्वागत करते हैं. वे हर तरह की चर्चा के लिए तैयार हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, वे नहीं जानते कि प्रदेश को चलाने के लिए किस तरह की आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.
'सीएम को विकास की ओर ध्यान देना चाहिए'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे चर्चा के लिए तैयार हैं. जनता को पता चलना चाहिए कि अब तक तीन महीने में कांग्रेस सरकार ने कोई नया काम क्यों नहीं किया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को विकास की ओर ध्यान देना चाहिए. पुरानी बातों को खोदते रहने का समय अब चला गया है. जनता यह देखना चाहती है कि नई सरकार क्या काम कर रही है.
क्या होता है श्वेत पत्र?
श्वेत पत्र किसी भी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जारी किया जाता है, जब किसी विषय पर कई सारे विचार सामने आ रहे हो. उस वक्त श्वेत पत्र को स्पष्टीकरण के लिए जारी किया जाता है. आमतौर पर सरकार अपनी बात को स्पष्ट तौर पर जनता तक पहुंचाने के लिए श्वेत पत्र जारी करती है. श्वेत पत्र में सरकार की कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार करने के लिए सुझावों जैसे विषय होते हैं. सबसे पहले साल 1922 में व्हाइट पेपर की शुरुआत हुई थी. उस समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक दंगे की सफाई में इसे जारी किया था, तब इसे चर्चिल व्हाइट पेपर भी कहा जाने लगा. बाद में इसे व्हाइट पेपर कहा जाने लगा.
ये भी पढ़ें- Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में होली से पहले लाखों रुपये की 788 लीटर अवैध शराब जब्त, आबकारी विभाग की कार्रवाई