Himachal Cabinet Expansion: कौन हैं सुधीर शर्मा? जिनका आखिरी वक्त में काटा गया कैबिनेट की लिस्ट से नाम
सुधीर शर्मा हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की सूची में शुमार हैं. वह चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. साल 2003 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
शिमला: जनवरी महीने के आठवें दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट का विस्तार किया. इस कैबिनेट विस्तार से कई विधायकों का लंबा इंतजार खत्म हुआ, लेकिन कुछ ऐसे भी विधायक रहे जिनका इंतजार अब भी जारी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया कि उनके मंत्रिमंडल में युवा जोश के साथ वरिष्ठ नेताओं का अनुभव भी है. इस मंत्रिमंडल की सूची से एक ऐसा नाम भी बाहर किया गया, जिसके पास युवा जोश भी था और मंत्रालय चलाने का अनुभव भी. धर्मशाला के विधायक और पूर्व में वीरभद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुधीर शर्मा का नाम आखिरी वक्त में मंत्रिमंडल की सूची से बाहर कर दिया गया.
चौथी बार जीते हैं विधानसभा चुनाव
सुधीर शर्मा हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों की सूची में शुमार हैं. वह चौथी बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. साल 2003 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. सुधीर शर्मा का परिचय बेहद लंबा-चौड़ा है. वे पूर्व मंत्री पंडित संत राम के बेटे हैं. पंडित संत राम वीरभद्र सिंह कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य रहे हैं. खास बात है कि पंडित संत राम के बाद सुधीर शर्मा ने भी वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में काम किया है.
मंत्रिमंडल में तय था सुधीर शर्मा का नाम
साल 2003, साल 2007 और साल 2012 में लगातार सुधीर शर्मा ने चुनाव में जीत हासिल की. हालांकि साल 2017 में उन्हें विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी किशन कपूर से हार का मुंह देखना पड़ा. साल 2022 के चुनाव में सुधीर शर्मा ने वापसी की और चुनाव जीतकर विधानसभा की दहलीज पर पहुंचे. इसके बाद सुधीर शर्मा और उनके समर्थक मंत्री पद को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. सुधीर शर्मा का लंबा-चौड़ा परिचय यह बताने के लिए काफी है कि उनका नाम मंत्रिमंडल में तय था.
साल 1991 में की थी राजनीतिक करियर की शुरुआत
सुधीर शर्मा ने साल 1991 में एनएसयूआई से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. इस साल शर्मा एनएसयूआई के जिला सचिव बने. इसके बाद उन्हें यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव की जिम्मेदारी मिली. साल 1996 से साल 2003 तक प्रदेश यूथ कांग्रेस के राज्य सचिव के पद पर रहे. साल 1997 में सुधीर शर्मा युवा कला मंच के निर्वाचित अध्यक्ष भी बने थे. साल 2002 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जगह मिली.
बाहरी राज्यों में निभाई है चुनाव ऑब्जर्वर की भूमिका
सुधीर शर्मा ने प्रदेश के बाहर भी पार्टी के लिए काम किया है. साल 2001 में राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के सदस्यता अभियान के दौरान जम्मू और कश्मीर के पद पर तैनात रहे. इसके बाद साल 2004 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दिशा कार्यक्रम में उन्हें गुजरात और पुणे का ऑब्जर्वर बनाया गया था. सुधीर शर्मा राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के भी ऑब्जर्वर रह चुके हैं.
साल 2005 में बने थे ऊर्जा विभाग के संसदीय सचिव
साल 2003 में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ऊर्जा विभाग के संसदीय सचिव की जिम्मेदारी भी दी थी. वे 18 अप्रैल 2005 से लेकर 18 अगस्त 2005 तक इस पद पर बने रहे. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सुधीर शर्मा को शहरी विकास मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा.
आखिर क्यों काटा गया सुधीर शर्मा का नाम?
सुधीर शर्मा को मंत्री पद न दिए जाने के पीछे कांग्रेस की दो वरिष्ठ महिला नेताओं के पत्र की बात निकल कर भी सामने आई थी, लेकिन अब तक न तो यह पत्र सामने आ सके हैं और न ही किसी ने खुलकर उनके नाम का विरोध किया है. इसके अलावा साल 2019 में पहले विधानसभा उपचुनाव और फिर लोकसभा चुनाव न लड़ पाना भी सुधीर शर्मा के मंत्री पद की राह में रोड़ा बनकर सामने आया.
सरकार बनाने में जिला कांगड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका
हिमाचल की राजनीति में काफी अहम है. कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश की राजनीति की राह कांगड़ा से होकर गुजरती है. जिला की कुल 15 सीट सियासी दलों का खेल बनाने और बिगाड़ने का काम करती हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा ने कांग्रेस का खेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कुल 15 में से 10 सीट जनता ने कांग्रेस की झोली में डाली. धर्मशाला ही जिला कांगड़ा का मुख्यालय है. धर्मशाला की महत्ता यहां बनी दूसरी विधानसभा से सहज ही समझ आ जाती है. ऐसे में अब धर्मशाला के विधायक को मंत्रिपरिषद में जगह न देना अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. जनता को मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार है. हालांकि सुधीर शर्मा धीर-गंभीर बनकर पार्टी के सच्चे सिपाही की तरह इंतजार कर रहे हैं.
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