Himachal Lok Sabha Elections 2024: अगर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से कोई भी प्रत्याशी पसंद न हो, तो वोटर्स को NOTA (None of the Above) का इस्तेमाल कर अपना मत जाहिर कर सकते हैं. साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से देश के वोटर्स को यह अधिकार मिला. साल 2004 की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सिंतबर 2013 को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वोट देने के अधिकार में वोट न देने का अधिकार यानी अस्वीकार करने का अधिका भी शामिल है. साल 2019 लोकसभा चुनाव में नोटा का वोट शेयर 1.06% था.
हिमाचल प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण में लोकसभा के चुनाव हैं. प्रदेश में सभी चार सीटों के लिए 1 जून को मतदान होना है. प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से मतदान बहिष्कार और नोटा के इस्तेमाल की जानकारी भी सामने आ रही हैं. ऐसे में इस बीच में जानेंगे कि आखिर नोटा क्या होता है और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश के कितने मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
कांगड़ा में नोटा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में 33 हजार आठ मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था. इसमें सबसे ज्यादा 11 हजार 327 वोटरों ने कांगड़ा में नोटा का बटन दबाया था. शिमला संसदीय क्षेत्र में 8 हजार 357 और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में 8 हजार 26 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था. साल 2021 के उपचुनाव की बात की जाए, तो यहां कांग्रेस की प्रतिभा सिंह के जीत के मार्जिन से ज्यादा नोटा का इस्तेमाल किया गया था.
साल 2021 में मंडी संसदीय क्षेत्र में जब सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद उपचुनाव हुए, तब कांग्रेस की प्रतिभा सिंह की जीत के मार्जिन से ज्यादा NOTA को वोट मिले थे. साल 2021 के इस उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को 3 लाख 69 हजार 565 वोट मिले, जबकि भाजपा के ब्रिगेडियर खुशाल सिंह (रिटायर्ड) को 3 लाख 62 हजार 75 वोट हासिल हुए. इस तरह प्रतिभा सिंह के जीत का मार्जिन 7 हजार 490 रहा, जबकि इस सीट पर 12 हजार 661 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया. NOTA का जीत के मार्जिन से भी ज्यादा इस्तेमाल होना भाजपा की प्रत्याशी का खेल बिगड़ने वाला साबित हुआ.
क्या नोटा जीत सकता है चुनाव?
दरअसल, साल 2013 में भारतीय निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा का विकल्प जनता को दिया. हिमाचल प्रदेश में पहली बार साल 2017 के विधानसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल हुआ था. मतदाता उस स्थिति में दबाते हैं जब उन्हें कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं होता. नोटा का अर्थ अंग्रेजी में नन ऑफ दी एबव होता है. यानी इनमें से कोई भी नहीं. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में सभी प्रत्याशियों के नाम के बाद अंत में नोटा का बटन होता है. यह जानना दिलचस्प है की नोटा को अगर सबसे ज्यादा वोट भी मिल जाए, तो भी नोटा चुनाव नहीं जीत सकता. नोटा के बाद ही दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी को ही विजयी घोषित किया जाता है.
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