World Blood Donors Day: 'जब दूसरे के रक्त से बचती है किसी अपने की जान, तब समझ में आता है क्या होता है रक्तदान'. विश्व भर में आज रक्तदाता दिवस मनाया जा रहा है. आधुनिकता और तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे विश्व में आज भी रक्तदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. लोग रक्तदान करने में झिझकते हैं और कई मरीजों को रक्त की कमी की वजह से अपनी जान तक गंवानी पड़ती है. इस बीच कई ऐसी संस्थाएं और समाजसेवी हैं, जो हर मरीज को अपना समझ उसकी जान बचाने की भरसक कोशिश करते हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो दिन-रात एक कर लोगों की जान बचाने के लिए काम कर रही हैं.


साल 2009 में बनी उमंग फाउंडेशन


शिमला की उमंग फाउंडेशन साल 2009 से समाज सेवा के क्षेत्र में काम कर रही है. उमंग फाउंडेशन प्रदेश भर के मरीजों और उनके तीमारदारों को के लिए सहारा बन रही है. प्रदेशभर से रोजाना कई फोन फाउंडेशन को आते हैं और फाउंडेशन के सदस्य रक्तदान करने के लिए तत्पर रहते हैं. उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव खुद 97 बार रक्तदान कर चुके हैं. यह संस्था दिव्यांग बच्चों के उत्थान के लिए भी काम कर रही है.


यारों का यार- वेला बॉबी 


समाज सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना चुके सर्वजीत सिंह बॉबी भी लोगों को रक्त उपलब्ध करवाने के लिए तत्पर रहते हैं. स्वयं साल 1998 में पहली बार रक्तदान करने वाले सर्वजीत सिंह बॉबी ने ऑलमाइटी ब्लेसिंग संस्था की शुरुआत तो साल 2014 में की, लेकिन वे लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. रक्तदान सेवा के अलावा वे कैंसर मरीज और इनके तीमारदारों को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में मुफ्त खाना उपलब्ध करवाते हैं.


टी.एस. नेगी ब्लड डोनर्स


हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर से संबंध रखने वाले तेजू नेगी बीते करीब छह साल से रक्तदान सेवा में जुटे हुए हैं. इलाके में जब कभी किसी को खून की जरूरत पड़ती है, तो पहला फोन सीधा तेजू नेगी के नंबर पर ही आता है. सोशल मीडिया और खबरों से दूर बने रहने वाले तेजू नेगी दिन-रात मरीजों को खून उपलब्ध करवाने के लिए काम में डटे रहते हैं.


हिमालयन ब्लड डोनर्स


साल 2018 में बनी हिमालयन ब्लड डोनर्स मूल रूप से जिला मंडी में काम करती है. संस्था ने हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में भी अपनी टीम तैयार करने की कोशिश की है. प्रदेश भर के मरीजों को रक्त उपलब्धता के लिए संस्था काम कर रही है. संस्था के पास मंडी के अलावा सबसे ज्यादा रक्तदान की मांग शिमला के आईजीएमसी और कांगड़ा के टांडा समेत बड़े अस्पतालों से आते हैं. संस्था से जुड़ी राजकुमारी चौहान लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं.


शिमला की सदैव फाउंडेशन


हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में स्थित है. यहां प्रदेश भर के लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में रक्त की मांग भी ज्यादा रहती है. ऐसे में शिमला की सदैव फाउंडेशन भी रक्तदान सेवा के लिए काम कर रही है. संस्था से जुड़े शुभांकर सूद मरीज और उनके तीमारदारों की परेशानी कम करने में जुटे रहते हैं. इसके अलावा शिमला में रक्तदान सेवा समरा नामक संस्था भी सक्रिय है.


समाजसेवी राजू ठाकुर ने 71 बार किया रक्तदान


जिला सोलन के दाड़लाघाट क्षेत्र से संबंध रखने वाले समाजसेवी राजू ठाकुर 71 बार रक्तदान कर चुके हैं. उन्होंने पहली बार साल 1996 में अपने दोस्त के लिए रक्तदान किया था. दोस्त आग में झुलस गया, तो दोस्ती का फर्ज अदा करते हुए राजू ठाकुर ने पहली बार रक्तदान किया. हालांकि दोस्ती जान तो नहीं बच सकी, लेकिन उसके बाद समाजसेवी राजू ठाकुर ने रक्तदान करने को जीवन का हिस्सा बना लिया. रेयर ब्लड ग्रुप ओ-पॉजिटिव वाले राजू ठाकुर 71 बार रक्तदान कर चुके हैं. राजू ठाकुर अपने परिवार के साथ शिमला में रहते हैं.


छात्र संगठन भी रक्तदान में नहीं रहते पीछे


हिमाचल प्रदेश में मरीजों की मदद के लिए राजनीति का भविष्य कहे जाने वाले छात्र संघ नेता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ अन्य कॉलेजों के छात्र और छात्राएं रक्तदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. सोशल मीडिया के इस्तेमाल से मरीजों के लिए मदद मांगना और समय पर रक्त उपलब्ध करवाने में छात्र संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया और एनएसयूआई के छात्र नेता और कार्यकर्ता सदैव तत्परता के साथ सेवा में डटे रहते हैं. मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध करवाने में सोशल मीडिया भी अहम भूमिका अदा करती है.