Himachal Pradesh News: साल 2022 अपने अंत पर पहुंच चुका है. यह साल हिमाचल प्रदेश में चुनावी साल था. लिहाजा, प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां भी तेज रहीं. यह साल राजनीतिक मायनों में कई तरह से खास था. इस साल राजनीतिक उठापटक और स्वार्थ के लिए दल बदलने का सिलसिला भी जोरों पर रहा.


साल के अंत में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए और इन चुनाव में जनता जनार्दन ने कई सियासी दिग्गजों को चुनाव हरवा कर घर बिठा दिया. जनता ने सियासी दिग्गजों को हराने में कांग्रेस-बीजेपी का भेद नहीं रखा और दोनों ही दलों के सियासी दिग्गजों को हार का मुंह देखने के लिए मजबूर कर दिया.


पूर्व सरकार के आठ मंत्रियों को करना पड़ा हार का सामना


साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के आठ कद्दावर नेताओं को हार का स्वाद चखना पड़ा. कसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज, मनाली से गोविंद सिंह ठाकुर, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, शाहपुर से सरवीन चौधरी, कसौली से डॉ. राजीव सैजल, फतेहपुर से राकेश पठानिया, घुमारवीं से राजिंदर गर्ग और लाहौल स्पीति से डॉ. रामलाल मारकंडा को हार का स्वाद चखना पड़ा. यही नहीं, मंडी के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को भी जनता ने पहले चुनाव में ही हार का स्वाद चखा दिया. इसके अलावा नाहन से डॉ.राजीव बिंदल, देहरा से रमेश ध्वाला और ज्वालामुखी से रविंद्र रवि को भी चुनाव में हार मिली.


जनता ने घर बिठा दिए सियासी दिग्गज 


जनता ने बीजेपी और कांग्रेस के बीच भेद न करते हुए कांग्रेस नेताओं को भी हार का स्वाद चखाने में गुरेज नहीं किया. कांग्रेस नेताओं में श्री नैना देवी जी से रामलाल ठाकुर, डलहौजी से आशा कुमारी और द्रंग से कौल सिंह ठाकुर को घर बिठा दिया. इसके अलावा पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे गंगूराम मुसाफिर, विजय पाल खाची, इंदु वर्मा और सुभाष मंगलेट को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. हार का सामना करने वाले इन नेताओं में गंगूराम मुसाफिर, कौल सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, सुरेश भारद्वाज और रमेश ध्वाला का चुनावी राजनीति में सफर लगभग खत्म हो गया. इसके पीछे की वजह इन नेताओं की बढ़ती उम्र है. हालांकि यह बात भी सत्य है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और इसमें कुछ भी संभव है.


साल 2022 में कांग्रेस जनता को नहीं दे सकी मंत्रिमंडल


राज और रिवाज की लड़ाई में भले ही कांग्रेस ने बीजेपी को शिकस्त दे दी, लेकिन साल 2022 में कांग्रेस जनता को मंत्रिमंडल नहीं दे सकी. 11 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री के तौर पर मुकेश अग्निहोत्री ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. साल 2022 खत्म होने पर भी कांग्रेस हिमाचल को नया मंत्रिमंडल नहीं दे सकी. इस तरह कांग्रेस की सरकार भले ही साल 2022 में बनी हो, लेकिन मंत्रिमंडल साल 2023 में ही मिलेगा.


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