Sukh Aashray Yojna: साल 2023 अपने अंत की तरफ बढ़ रहा है. यह साल हिमाचल प्रदेश के लिए कई मायनों में खास रहा. साल 2023 का पहला ही दिन हिमाचल प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बन गया था. इस दिन हिमाचल प्रदेश की नई सरकार ने निराश्रित बच्चों के लिए सुख आश्रय कोष का गठन किया था. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने शिमला (Shimla) के होटल प्रेस वार्ता बुलाकर इसकी घोषणा की थी. इसके तहत 101 करोड़ रुपए के कोष का प्रावधान किया गया था.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर से ऐसे बच्चों की पहचान की, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया. प्रदेश के अनाथालयों में रह रहे बच्चों की पहचान करना तो आसान था, लेकिन अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे बच्चों की पहचान करने में सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी. इसके बाद राज्य सरकार ने इन्हें 'चिल्ड्रन ऑफ स्टेट' का दर्जा दिया. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में इसके लिए विशेष बिल लाकर कानून बनाया गया.
कानून के तहत निराश्रितों को अधिकार देने वाला पहला राज्य बना हिमाचल
इसके साथ ही 6 अप्रैल, 2023 को हिमाचल प्रदेश पूरे देश का पहला ऐसा राज्य बन गया, जहां कानून के तहत निराश्रित बच्चों को उनका अधिकार दिया गया. 3 अक्टूबर, 2023 को हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो हजार 466 बच्चों को 4.68 करोड़ रुपए की राशि वितरित की. इसके अलावा इन बच्चों के लिए लैपटॉप और स्मार्ट मोबाइल फोन का भी प्रबंध किया गया, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई परेशानी न हो. इस दिन कई निराश्रित बच्चों को स्टार्टअप के लिए भी सरकार ने आर्थिक मदद की.
पहले ही दिन कुछ बड़ा करने की ठानी थी- CM सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने निराश्रित बच्चों से कहा कि वे कभी भी खुद को अकेला न समझें. निराश्रित बच्चे अकेले नहीं हैं. सीएम सुक्खू खुद और उनकी पूरी सरकार उनके साथ है. सीएम ने कहा कि जब उन्होंने रिज मैदान पर शपथ ली. तब सभी उनका इंतजार सचिवालय में कर रहे थे, लेकिन वे सचिवालय न जाकर अनाथालय गए. उन्होंने कहा कि उसी दिन उन्होंने बच्चों से कई चीज सीखी. बच्चों से कोई बात तो नहीं हुई, लेकिन उन्होंने उनके मन को पढ़ लिया. उसी दिन यह निश्चय कर लिया था कि निराश्रित बच्चों के लिए कुछ बड़ा करना है.
'चिल्ड्रन ऑफ़ स्टेट' बने हिमाचल के निराश्रित बच्चों
सीएम सुक्खू ने कहा कि आज कानून के तहत हिमाचल प्रदेश के सभी निराश्रित बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ स्टेट' का दर्जा दिया गया है. ऐसे बच्चों की माता-पिता सरकार ही है. जनवरी से अक्टूबर तक कई बैठकों के बाद इस योजना को ग्राउंड जीरो पर लागू किया गया. सीएम ने कहा कि इस योजना का निराश्रित बच्चों को फायदा मिलने के बाद उन्होंने खुद को फलीभूत महसूस किया.
हिमाचल प्रदेश सरकार 27 साल की उम्र तक के अनाथ बच्चों को चार हजार रुपये मासिक जेब खर्च, कोचिंग के लिए एक लाख रुपए, तीन बिस्वा भूमि और मकान निर्माण के लिए तीन लाख रुपये, शादी के लिए दो लाख रुपये का अनुदान और सूक्ष्म व लघु उद्योग लगाने के लिए दो लाख रुपये का अनुदान दे रही है.
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