Himachal Pradesh: साल 2023 अपने अंत की तरह बढ़ रहा है. देश भर में कई ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में साल 2023 की कई बड़ी घटनाओं में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति भी शामिल है. 8 जनवरी, 2023 को दिलचस्प ढंग से मंत्रियों की शपथ से पहले राज्य सचिवालय में मुख्य संसदीय सचिवों की शपथ हो गई. सरकार में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति हर किसी को हैरान कर देने वाली थी. चूंकि इससे पहले साल 2017 से लेकर साल 2022 तक जयराम ठाकुर सरकार में मुख्य संसदीय सचिव नहीं बनाए गए. इसकी वजह यह थी कि तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया गया था.


हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की मौजूदगी में छह मुख्य संसदीय सचिव को शपथ दिलवाई गई. इसके बाद बीजेपी के विधायकों ने हाईकोर्ट में इस नियुक्ति को चुनौती दे दी. बीजेपी ने इस नियुक्ति को पूरी तरह असंवैधानिक बताया. हाईकोर्ट में इस मामले पर कई सुनवाई हो चुकी हैं और मुख्य संसदीय सचिवों को अपनी कुर्सी जाने का खतरा डरा रहा है.


सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी ट्रांसफर पिटीशन


राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह मामला ट्रांसफर करने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और हाईकोर्ट में ही सुनवाई जारी रखने के लिए कहा. बीजेपी ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के साथ उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति को भी चुनौती दी थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया. अब कोर्ट में सिर्फ मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला ही लंबित है. हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं. इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं. 


मामले में फैसले का रहेगा इंतजार


राज्य सरकार का दावा है कि इस संबंध में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कानून बनाया जा चुका है, जबकि बीजेपी इसे असंवैधानिक बता रही है. याचक पक्ष यानी बीजेपी का यह भी दावा है कि यह 'ऑफिस और प्रॉफिट' का मामला है. ऐसे में मुख्य संसदीय सचिवों पर विधानसभा की सदस्यता जाने का भी खतरा है. इस संबंध में बीजेपी दिल्ली और मणिपुर राज्य का उदाहरण दे रही है. वक्त अब साल 2023 से साल 2024 की तरफ बढ़ रहा है और साल 2024 में भी सभी को मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती के मामले में आने वाले फैसले का इंतजार रहने वाला है.


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