Year Ender 2024: साल 2024 अपने अंत की तरफ बढ़ रहा है. चंद दिनों में साल 2025 की शुरुआत हो जाएगी. साल 2024 सुक्खू सरकार के लिए उतार और चढ़ाव भरा रहा है. बात फरवरी 2024 की है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था. इसी बीच राज्यसभा चुनाव भी आ गए. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने अल्पमत के बावजूद हर्ष महाजन को प्रत्याशी बनाकर उतार दिया.
कांग्रेस की ओर से गैर हिमाचली डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी उम्मीदवार थे. कांग्रेस के पास अपने 40 और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन था. बीजपेी के पास सिर्फ 25 विधायक थे. बावजूद इसके बीजेपी हर्ष महाजन को राज्यसभा भेजने में कामयाब रही. चुनाव से पहले महाजन ने कांग्रेस विधायकों को अंतरात्मा की आवाज सुनने का आह्वान किया था. कांग्रेस के छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की. तीनों निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी के प्रत्याशी को वोट कर समर्थन दिया.
छह कांग्रेस विधायकों में धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर और गगरेट से चैतन्य शर्मा शामिल थे. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के तुरंत बाद सभी नौ विधायक शिमला से पंचकूला के लिए रवाना हो गए. अगले दिन लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी पिता के अपमान की बात कह कर इस्तीफे की पेशकश कर डाली. सरकार में उथल-पुथल मच गई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार संकट में आ गई. खास तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी पर संकट के बादल छाने लगे. इसी बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा की खबरों ने जोर पकड़ लिया.
बजट पर वोटिंग के लिए जारी हुआ व्हिप
27 फरवरी, 2024 को राज्यसभा चुनाव के बाद 28 फरवरी को बजट पास करने के लिए वोटिंग होनी थी. बीजेपी दावा कर रही थी कि कांग्रेस अल्पमत में है. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने व्हिप जारी किया और सभी कांग्रेस विधायकों को उपस्थित रहने के लिए कहा गया. क्रॉस वोटिंग करने वाले छह विधायक बजट पर वोटिंग के लिए नहीं पहुंचे. ऐसे में दल-बदल कानून के तहत स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया को शिकायत सौंपी गई.
स्पीकर ने सभी छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी. विधायिकी रद्द होने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया. इससे पहले चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के साथ छह सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा कर दी. अगली सुनवाई से पहले तत्कालीन विधायकों ने याचिका वापस ले ली. तीन निर्दलीय विधायकों ने भी इस्तीफा सौंप दिया. निर्दलीय विधायक इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए कोर्ट तक गए. कोर्ट का फैसला आने से पहले विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
सुखविंदर सरकार पर ऐसे टला खतरा
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव हुए. कुल छह विधानसभा सीटों में से चार पर नए कांग्रेस प्रत्याशी दोबारा जीत गए. बीजेपी में गए सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल चुनाव जीत सके. इस्तीफा स्वीकार होने के बाद जुलाई महीने में तीन सीटों पर दोबारा उपचुनाव हुए, जहां निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिया था. इनमें भी सिर्फ बीजेपी में गए आशीष शर्मा चुनाव जीत सके.
नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह चुनाव हार गए. देहरा से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर ने उपचुनाव जीत लिया. इस तरह कांग्रेस दोबारा 40 की संख्या पर पहुंच गई और बीजेपी की सीटों में भी तीन का इजाफा हुआ. अब बीजेपी 28 पर पहुंच गई. इस तरह सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल टल गए.
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