हिमाचल विधानसभा में पहली बार शून्य काल, जानिए सदस्यों ने जनहित में उठाए कौन-कौन से मुद्दे?
Himachal Pradesh Assembly: हिमाचल विधानसभा में शुक्रवार को पहली बार शून्य काल हुआ. पहली बार हुए शून्य काल के दौरान सात सदस्यों ने जनहित के मुद्दे सदन में उठाए.
Zero Hour in Himachal Pradesh Assembly: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को पहली बार शून्य काल हुआ. दोपहर 12 बजे शून्य काल शुरू हुआ और 12:30 बजे तक चला. इस दौरान सात सदस्यों ने जनहित के मुद्दे सदन में उठाए. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहली बार की विधायक अनुराधा राणा को शून्य काल में पहला मुद्दा उठाने का मौका मिला. अनुराधा राणा चौदहवीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सबसे युवा सदस्य भी हैं.
अनुराधा राणा ने उठाया टोल टैक्स का मुद्दा
जिला लाहौल स्पीति से कांग्रेस विधायक अनुराधा राणा ने अपने विधानसभा क्षेत्र में टोल टैक्स का मुद्दा उठाया. अनुराधा राणा ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में 50 किलोमीटर के दायरे में दो टोल टैक्स हैं, जबकि केंद्र सरकार के नियम यह कहते हैं कि 60 किलोमीटर के दायरे से दूर ही टोल टैक्स बनाए जाएंगे. ऐसे में यह नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग उठाई की नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के समक्ष यह मामला उठाया जाए. इस पर हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे.
डॉ. जनक राज ने बताई भेड़पालकों की परेशानी
अनुराधा राणा के बाद भरमौर से भाजपा विधायक डॉ. जनक राज ने भेड़पालकों का मुद्दा सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के दूरदराज इलाकों में अपनी आजीविका चलाने के लिए भेड़ पालन करने वाले लोग परेशान हैं. बीते कुछ वक्त में भेड़ों की चोरी की के मामले भी बढ़े हैं. ऐसे में भेड़ पालक अपने कारोबार छोड़ने के लिए मजबूर हैं.
डॉ. जनक राज ने कहा कि सरकार का भेड़पालकों के प्रति रवैया उदासीन है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मुद्दा राज्य सरकार के समक्ष है और चरागाह की संख्या बढ़ाने के बारे में भी विचार किया जाएगा. गुरुवार को ही भेड़ पालकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात भी की है. इसके बाद केवल सिंह पठानिया ने फोरलेन निर्माण में कूहलों को हो रहे नुकसान का मुद्दा विधानसभा में उठाया.
संजय रतन ने उठाया स्वतंत्रता सेनानी स्मारक का मुद्दा
शून्य काल में चौथे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुखराम चौधरी ने 25 और 26 सितंबर को भारी बरसात के दौरान बादल फटने से कृषि योग्य भूमि के नुकसान का मुद्दा सदन में उठाया. साथ ही उसे ब्रिज के बंद होने की परेशानी भी सदन के समक्ष रखी, जिसके बंद होने की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं.
सुखराम चौधरी ने कहा कि आपदा के बाद से अब तक कोई अधिकारी वहां मुआयना करने के लिए भी नहीं पहुंचा है. ज्वालामुखी से विधायक संजय रतन ने सदन में स्वतंत्रता सेनानी स्मारक का मुद्दा उठाया. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में संज्ञान लेने की बात कही. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दोनों सदस्यों की मांगों को सरकार तक पहुंचा दिया जाएगा.
जम्वाल को नई पंचायत के गठन के बारे में चिंता
बिलासपुर सदर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक त्रिलोक जम्वाल ने शून्य काल के दौरान नई पंचायत के गठन का मुद्दा सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि नई पंचायत के गठन के लिए कई नियम तय किए गए हैं. कुछ प्रधान इसके लिए प्रस्ताव दे रहे हैं और कुछ प्रधानों की ओर से प्रस्ताव नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में सरकार स्पष्ट करें कि क्या उन्हें पंचायत का गठन किया जाएगा, जिनके प्रधानों की ओर से उनकी मांग की जा रही है. इस पर ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि अभी नई जनगणना नहीं हुई है. खुद विधायक उनके दफ्तर में आकर या फिर उपायुक्त के माध्यम से इस संबंध में मांग दे सकते हैं. विभाग इस पर विचार करेगा
पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने किया शून्य काल की शुरुआत का स्वागत
शून्य काल के दौरान आखिरी मुद्दा नालागढ़ से विधायक हरदीप सिंह बावा ने उठाया. उन्होंने कहा कि उनके इलाके में एक संयंत्र स्थापित हुआ है, जहां नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को इन नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करे.
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनके मुद्दे को भी सरकार के पास पहुंचा दिया जाएगा. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहली बार शून्य काल होने पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को बधाई दी और उनके इस कदम का स्वागत किया. अब शनिवार को भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 12 बजे शून्य काल होगा. इसके लिए 30 मिनट का वक्त तय किया गया है.
यह हैं शून्य काल के नियम
1. शून्य काल में ऐसे विषयों का उल्लेख होगा, जो मुख्य रूप से प्रदेश सरकार के क्षेत्राधिकार में आते हों.
2. किसी मामले की गंभीरता, महत्व और तात्कालिकता विशेष उल्लेख के दौरान उसे उठाने के लिए मुख्य मानदंड होने चाहिए.
3. शून्य काल में केवल उन विषयों को उठाने की अनुमति दी जाएगी, जो पिछले सत्र की बैठक के समापन के बाद और दिन की बैठक शुरू होने से पहले की अवधि के बीच का हो.
4. सदस्य कोई मामला उठाने के लिए तभी नोटिस दे सकता है, जब प्रासंगिक समय पर उसके पास सरकार का ध्यान उस मुद्दे की ओर आकर्षित करने के लिए कोई अन्य विकल्प उपलब्ध न हो.
5. नोटिस 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए.
6. उसमें ऐसे विषय का उल्लेख नहीं होगा, जिस पर उसी सत्र में चर्चा हो चुकी हो या सत्र के दौरान अन्य नियमों में चर्चा होने की संभावना हो.
7. एक नोटिस में एक से अधिक विभागों के मुद्दों को नहीं उठाया जाएगा.
8. विषय में तर्क, अनुमान, व्यंग्यात्मक अभिव्यक्तियां, आरोप, व्यक्ति विशेष या मानहानि, सत्र की कार्यवाही में रूकावट, न्यायालय के विचाराधीन और कथन नहीं होंगे.
9. इसमें विधान सभा सचिवालय/विधान सभा समिति/अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार की कार्यवाही का उल्लेख नहीं होगा.
10. यदि संबंधित मंत्री के पास सूचना उपलब्ध है, तो वह उठाए गए मामले पर जवाब दे सकते हैं. अन्यथा मंत्री की ओर से जल्द से जल्द जवाब सदस्य को उपलब्ध करवा दिया जाएगा.
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