Indian Northen Railway: उत्तर रेलवे ने रेलवे परिसर, रेलवे कालोनी और पटरियों के किनार के कबाड़ों को बेचकर राजस्व जुटा रहा है. 2021-22 वित्तीय वर्ष के दौरान उत्तर रेलवे ने कबाड़ से 402.51 करोड़ रुपए का राजस्व कमाया है. 2021-22 वित्तीय वर्ष का राजस्व 2020-21 के मुकाबले 93.40 फीसदी ज्यादा है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान रेलवे ने केवल 208.12 फीसदी का राजस्व जमा किया था. 



आमदनी में सबसे आगे है उत्तर रेलवे
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने इस साल उत्तर रेलवे को राजस्व से हुई आमदनी के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस साल 370 करोड़ रुपए के कबाड़ की बिक्री का लक्ष्य रखा गया था. जबकि उत्तर रेलवे ने 402.51 करोड़ रुपए कबाड़ बेचकर राजस्व जमा किया है. उत्तर रेलवे कबाड़ से राजस्व जमा कराने के मामले में अन्य क्षेत्रीय रेलवे और निर्माण इकाइयों से बिक्री में आगे रहा है. उन्होंने बताया कि रेलवे लाइनों के किनारे पड़ी पूरानी पटरियों के टुकड़े, रेलवे की बोगी और अन्य कबाड़ से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. ऐसे में उत्तर रेलवे शून्य कबाड़ का दर्जा हासिल करने की कोशिश कर रहा है. जिसको ध्यान में रखते हुए रेलवे द्वारा बेकार काबड़ के अलावा बेकार पानी टंकियों, बेकार रेलवे केबिनों, क्वार्टरों और अन्य इमारतों के दुरुपयोग की आशंका रहती है. जिसको देखते हुए रेलवे ने ये फैसला किया है. 

जरुरी होता है कबाड़ का निपटारा
बता दें कि रेलवे में कबाड़ का निपटारा करना भी एक जरुरी गतिविधियों में आता है. इससे रेलवे के परिसरों को साफ और सुरक्षित रखने के साथ ही राजस्व भी प्राप्त होता है. रेलवे के द्वारा निर्माण योजनाओं, रेल पटरियों की मरम्मत, पुरानें समानों और हादसों में क्षतिग्रस्त हो गए कोच से एकत्र कबाड़ को बेचा जाता है. ये काम रेलवे का हर क्षेत्रीय इकाइयों के द्वारा किया जाता है. 


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