MP News: जबलपुर के एक परिवार ने अपनी जिंदा बेटी का पिंडदान कर दिया. आखिर क्या मजबूरी थी कि उस परिवार कि जिसको जीते-जी बेटी को मृत मानकर पिंडदान करना पड़ा. यह पता लगाने के लिए एबीपी न्यूज की टीम ने उस दुखी परिवार के सदस्यों से बात कि, जिन्होंने दो दिन पहले यह बेदर्द कदम उठाया.
दरअसल, पूरा मामला कथित लव जिहाद से जुड़ा है. 22 साल की बेटी अनामिका दुबे ने परिवार वालों को बिना बताए एक मुस्लिम युवक मोहम्मद अयाज से पहले रजिस्टर्ड मैरिज और बाद में धर्म परिवर्तन करते हुए निकाह कर लिया. दुबे परिवार का कहना है कि उन्हें कानों- कान इसकी खबर नहीं लगी. अनामिका के उजमा फातिमा बनकर निकाह करने का कार्ड वायरल होने के बाद जब उन्हें इसकी जानकारी लगी तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.
उजमा फातिमा उर्फ अनामिका दुबे के छोटे भाई अभिषेक दुबे कहते है, "परिवार ने सोचा नहीं था कि हमें यह दिन देखना पड़ेगा. मैंने भी नहीं सोचा था कि यह सब फेस करना पड़ेगा. अनामिका तीन बहनों में सबसे छोटी लेकिन मुझसे बड़ी थी. हमने उसे बहुत समझाया लेकिन वह नहीं मानी. अब वह हमारे लिए मर चुकी है. हमने अपनी बहन अनामिका का पिंडदान कर दिया ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले."
अभिषेक आगे कहते है, "मम्मी-पापा को भी बहुत दुख हो रहा है, इस बात के लिए. लेकिन मेरे को ऐसा करना पड़ा. मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा मुझे करना पड़ेगा और जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है. हम लोगों ने बहुत प्रयास किए लेकिन वह नहीं समझी. उसकी शादी के लिए हमने बहुत सपने देखे थे. मेरे से बड़ी थी. तो फिर हम लोगों ने सोच लिया कि हमारी बहन अब मर चुकी."
अनामिका दुबे की मां अन्नपूर्णा दुबे कहती हैं कि, बेटी ने हमारी इज्जत धूमिल कर दी. इसलिए हमने अपनी बेटी का पिंडदान कराया. हमने अपने बाकी बच्चों की तरह अनामिका के लिए भी बहुत सपने देखे बहुत थे. एक मां-बाप के सपने क्या होते हैं. अभी तो हम लोगों ने मझली बेटी की शादी की थी. एकाध साल बाद उसकी शादी करते."
अन्नपूर्णा दुबे ने आगे कहा,"हम लोगों को पता ही नहीं चला कि उसने शादी कर ली है. जब गई है, तब पता चला. किसी भी मां-बाप को पता होता तो वह अपने बच्चे को समझाता. इतने गलत रास्ते पर नहीं जाने देता. वो तो वही बता सकती है कि उसने क्या सोचकर यह कदम उठाया है. वह हम लोगों से कोई मतलब नहीं है. अब वह हम लोगों के लिए मर गई है.
इस मामले में पुलिस की क्लीन चिट पर भी अनामिका की मां अन्नपूर्णा दुबे ने प्रश्नचिन्ह लगाया. उन्होंने कहा, "प्रशासन झूठ बोल रहा है. हमें तो तब पता चला, जब उसकी शादी का कार्ड वायरल हुआ. इसके पहले उसके शादी करने की हमें कोई जानकारी नही है, लेकिन अब इन बातों का कुछ भी मतलब नहीं है. हमने तो अपने कलेजे पर पत्थर रख लिया है."
हालांकि, अभिषेक या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने यह तो नहीं माना कि सामाजिक दबाव में उन्होंने अनामिका का पिंडदान और मृत्युभोज किया. लेकिन, कहा जा रहा है कि इसके पीछे बड़ी वजह यही थी. कुछ हिन्दू संगठनों के दबाव की बात भी निकल कर सामने आ रही है.
हिन्दू धर्मसेना के योगेश अग्रवाल कहते है कि यह सीधा-सीधा लव जिहाद का मामला है. प्रशासन ने भले ही मुस्लिम युवक मोहम्मद अयाज को क्लीन चिट दे दी है, लेकिन यह मामला इतना सरल नहीं है. रही अनामिका दुबे के पिंडदान की बात तो यह परिवार का फैसला था और हम लोगों ने केवल उन्हें सपोर्ट दिया है.
हिंदू संगठनों ने किया था प्रदर्शन
यहां बताते चले कि पिछले दिनों इस मामले को लेकर हिन्दू संगठनों ने एसपी आफिस पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि गोहलपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के एक युवक मोहम्मद अयाज ने लव जिहाद करते हुए हिंदू लड़की अनामिका दुबे से पहले कोर्ट मैरिज कर ली और अब मुस्लिम रीति रिवाज से दोनों शादी करने जा रहे हैं. हिन्दू लकड़ी का धर्म परिवर्तन कर उसका नाम उजमा फातिमा रख दिया गया है. हिन्दू संगठनों की ओर से योगेश अग्रवाल ने कहा था कि 7 जून को मुस्लिम रीति-रिवाज से होने वाले निकाह के आमंत्रण पत्र में लड़की का नाम उजमा फातिमा लिखा गया है.इसे तुरंत रोका जाना चाहिए.
वहीं, कथित लव जिहाद के इस मामले में पुलिस की थ्योरी कुछ और कह रही है. सीएसपी तुषार सिंह का कहना है कि मुस्लिम युवक और हिंदू युवती की रजिस्टर्ड मैरिज आपसी सहमति से हुई. इसकी जानकारी दोनों के परिजनों को भी थी. विवाह के लिए किसी भी तरह दबाव नहीं बनाया गया था. युवक-युवती कई सालों से एक-दूसरे को प्रेम करते थे.
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