(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Baisakhi: भद्रवाह में 1600 साल पुराने सुबर-नाग मंदिर के कपाट खुले, 12 किमी चढ़ाई कर पहुंचे 15 हजार भक्त
Baisakhi 2023: जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह जिला स्थित 1600 साल पुराने सुबर-नाग मंदिर के कपाट गुरुवार को खुल गए. प्रदेश में वसंत के पहले दिन 12 किलोमीटर की चढ़ाई कर 15000 भक्त मंदिर में पहुंचे.
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह जिला स्थित सुबर-नाग मंदिर के कपाट गुरुवार को खोल दिए गए. कपाट खुलते ही 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित 1,600 साल पुराने इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु बैसाखी मनाने के लिए एकत्रित हुए. त्यौहार वसंत की शुरुआत का प्रतीक है. इस मंदिर में उत्सव को देश की पहली बैसाखी माना जाता है. देश के अन्य हिस्सों में 14 अप्रैल को त्यौहार मनाया जाएगा. भदेरवाह शहर से 35 किलोमीटर दूर सुबर धार में मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही पारंपरिक समारोह की शुरुआत हुई, जिसके बाद मेढ़े की बलि दी गई. भगवान सुबर नाग के दर्शन के लिए 12 किमी की खड़ी पहाड़ी पर चढ़ने के बाद हजारों भक्त मंदिर में एकत्रित हुए. इस अवसर पर प्राचीन रीति के अनुसार दर्जनों भेड़ों की बलि दी गई.
इस क्षेत्र का है सबसे प्राचीन त्यौहार
इस त्यौहार का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन त्यौहार भी है. चिंता, भलारा और शरोरा सहित घाटी के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु भगवान सुभार नाग का आशीर्वाद लेने के लिए पवित्र गदा लेकर यहां पहुंचते हैं. मुख्य पुजारी अनिल कुमार रैना ने कहा कि 1600 साल पुराने मंदिर के कपाट आज सुबह भक्तों के लिए खोल दिए गए.
तीर्थ पर्यटन सर्किट के तहत लाया जाए वसंत उत्सव
स्थानीय लोगों ने यह भी मांग की कि प्राचीन वसंत उत्सव को तीर्थ पर्यटन सर्किट के तहत लाया जाए. मेले के प्रमुख आयोजक फूलैल सिंह (61) ने कहा कि यह न केवल प्राचीन और ऐतिहासिक त्यौहार है, जो अद्वितीय नाग संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह मंदिर बर्फीले पहाड़ों से घिरे हरे-भरे घास के मैदानों के बीच भी स्थित है. फुलैल सिंह ने कहा कि दुनिया भर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग और बीडीए (भद्रवाह विकास प्राधिकरण) ने इसे तीर्थस्थल के रूप में पेश करने के लिए कुछ भी ठोस नहीं किया है.
यह त्यौहार नये वसंत ऋतु का प्रतीक
हमलोग बहुत जलवायु की कठिन परिस्थितियों और बर्फ के कारण ज्यादातर घर के अंदर रहते हैं, उसके चार महीने बाद आया यह त्यौहार नए वसंत ऋतु का प्रतीक है, न केवल हमें फिर से जीवंत करता है बल्कि हमें अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने का मौका भी देता है. इसके अलावा एक युवा भक्त दीक्षा (21) ने कहा कि भगवान सुभार नाग के हमारी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
9,500 महिलाओं सहित 15 हजार लोग पहुंचे प्राचीन मंदिर
भद्रवाह के एसपी कामेश्वर पुरी ने कहा कि त्यौहार अच्छी तरह से मने इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. पुरी ने कहा कि 9,500 महिलाओं सहित कुल 15,000 भक्तों ने प्राचीन मंदिर में दर्शन किए. ऊंचाई वाले घास के मैदान को साफ और प्लास्टिक कचरे से मुक्त रखने के लिए, प्रशासन ने लोगों को तैनात किया था, साथ ही पॉलिथीन और प्लास्टिक व कचरे के संग्रह के लिए कियोस्क बनाए गए थे.