J-K Fake Gun License Case: जम्मू कश्मीर का बहुचर्चित फर्जी गन लाइसेंस मामला एक बार फिर तूल पकड़ता जा रहा है. इसको लेकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. सीबीआई ने अदालत से इस मामले में आरोपी आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी है. 


सीबीआई ने हाई कोर्ट से कहा कि साल 2021 में हमने सरकार से आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच मुकदमा शुरू करने की मांग की थी, जो उसे अभी तक नहीं मिली है.


क्या है फर्जी गन लाइसेंस मामला?


दरअसल, यह मामला साल 2014-15 का है. जब फर्जी गन लाइसेंस के आरोपी की जांच करने के लिए प्रदेश की विजिलेंस आर्गेनाइजेशन ने जम्मू और कश्मीर में अलग-अलग दो मामले दर्ज किए थे. इसी बीच एटीएस राजस्थान से भी एक रिपोर्ट जम्मू कश्मीर सरकार को मिली थी, जिसमें यह कहा गया था कि जम्मू कश्मीर से जारी हुए गन लाइसेंस की जांच के दौरान यह पाया गया है कि इन गन लाइसेंस पर जारी हथियार आतंकी इस्तेमाल कर रहे हैं. 


इसके बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने साल 2012 से साल 2016 तक जारी हुए गन लाइसेंस की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपी थी. साल 2018 में सीबीआई ने इस बाबत जम्मू और कश्मीर में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू कर दी.


साल 2020 में इसकी जांच पूरी हो गई. इस मामले में आरोपी जम्मू कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के अधिकारियों, जो साल 2012 से 2016 तक अलग-अलग जिलों में बतौर डीएम तैनात थे, के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत जम्मू कश्मीर सरकार ने दी थी. जेके आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग अदालतों में 13 चालान पेश किए गए, लेकिन साल 2020 से लगातार सीबीआई ने आरोपी 10 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ प्रॉसीक्यूशन की इजाजत मांगी जो सरकार नहीं दे रही.


2012-16 के दौरान जारी हुए 274000 गन 


याचिकाकर्ता के वकील शेख शकील अहमद ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि साल 2012 से लेकर साल 2016 तक 2 लाख 74 हजार गन लाइसेंस जम्मू कश्मीर से फर्जी ढंग से जारी किए गए. सीबीआई की चार्जशीट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर गन लाइसेंस फर्जी ढंग से जारी किए गए. 


इसलिए नहीं नहीं मिली मुकदमे की इजाजत 


फर्जी तरीके से इशू किए गए यह गन लाइसेंस उन लोगों या सेना के जवानों के नाम पर इशू किए गए, जो ना तो जम्मू कश्मीर में रहते थे और ना ही उनकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में थी. साल 2020 से अब तक आईएएस अधिकारियों की मुकदमा चलाने की इजाजत ना मिलने पर याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि नौकरशाही के दबाव के चलते यह सब नहीं हो पा रहा है.


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