Jammu Kashmir Balmiki Community Reservaton: केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव होने के बढ़ते संकेतों के बीच केंद्र जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 'बाल्मीकि' समुदाय (Balmimki Community) को अनुसूचित जाति (SC) की लिस्ट में शामिल करने की योजना बना रहा है. जानकारी के मुताबिक, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 'बाल्मीकि' को एससी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव कर रहा है. ‘वाल्मीकि’ नाम का एक समुदाय जो पहले से इस लिस्ट में शामिल है उससे इस समुदाय का नाम मिलता-जुलता है, लेकिन दोनों में वर्तनी में भिन्नता है. दलित समूहों के तौर पर पहचान से जुड़े कड़े प्रावधानों के कारण बाल्मीकि जाति के लोग एससी लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं, जिससे उन्हें आरक्षण और दूसरे लाभ नहीं मिल पाते हैं. 


जानकारी के मुताबिक, समाजिक न्याय और आधिकारिक मंत्रालय ने बाल्मिकि समाज समाज को SC लिस्ट में शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव को नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट के पास उसकी राय जानने के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद उसे संसद में पेश किया जाएगा. 


वाल्मीकि-बाल्मीकि को लेकर विवाद


वाल्मीकि/बाल्मीकि का मामला विवादास्पद नहीं है, क्योंकि वे देश भर में एक ज्ञात दलित समुदाय रहे हैं. सूत्रों की मानें तो इस समुदाय के कुछ परिवार साल 1957-58 में पंजाब की तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने जम्मू-कश्मीर में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देजनर पंजाब से जम्मू भेजे गए थे. काफी समय से बाल्मीकि समुदाय को एससी सूची में शामिल करने की मांग की जा रही है. 


पहाड़ियों को एससी का दर्जा देने पर विवाद


केंद्र की बीजेपी सरकार (BJP Government) ने जम्मू-कश्मीर के पहाड़ियों को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि, गुज्जर और बक्करवाल समुदाय ने बीजेपी सरकार के इस प्रस्ताव पर विरोध जताया है. केंद्र सरकार के प्रति इस विरोध को देखते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) ने हाल ही में बक्करवाल और गुज्जर समुदाय को यह आश्वासन दिलाया कि पहाड़ी समुदाय को आरक्षण देने से उन दोनों समुदाय के आरक्षण कोटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उपराज्यपाल ने कहा कि कुछ लोग अपने सियासी फायदे के लिए इन समुदायों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो विश्वास दिलाना चाहते हैं कि पहाड़ियों को आरक्षण देने से किसी के आरक्षण कोटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


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