Jammu Kashmir Terror Funding Case: दिल्ली की एक अदालत ने आतंकी फंडिंग मामले में जेल में बंद लोकसभा सदस्य इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद की नियमित जमानत याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुना सकती है. इससे पहले अतिरिक्त सत्र जस्टिस चंद्रजीत सिंह ने 28 अगस्त को बंद कमरे में सुनवाई के दौरान याचिका पर दलीलें सुनी थीं. उस समय उन्होंने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
जस्टिस चंद्रजीत सिंह ने 20 अगस्त को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी कर रशीद की याचिका पर 28 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. पांच जुलाई को अदालत ने रशीद को लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पद की शपथ लेने के लिए हिरासत में पैरोल दी थी.
उमर अब्दुल्ला को दी थी सियासी मात
बता दें कि शेख अब्दुल रशीद को इंजीनियर रशीद के नाम से भी जाना जाता है. इंजीनियर रशीद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था. वह वर्ष 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में हैं. इस समय वह तिहाड़ जेल में बंद हैं.
आतंकी फंडिंग में आया था रशीद का नाम
इंजीनियर रशीद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली मामले की जांच के दौरान सामने आया था, जिसे एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों का कथित रूप से वित्तपोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
एनआईए ने इस मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत कई व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. यासीन मलिक को आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद 2022 में एक निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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