Doda News: पति की बीमारी के बाद परिवार पर आर्थिक संकट गहराया तो 39 साल की मीनाक्षी देवी (Minakshi Devi) ने ई-रिक्शा चलाने का फैसला किया. यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि न केवल उन्हें अपने रिश्तेदारों की असहमति झेलना पड़ा बल्कि ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन मीनाक्षी ने हार नहीं मानी और अपने फैसले पर अडिग रहीं. आज इस बात को चार महीने हो गए हैं. वह न केवल चेनाब वैली में ई-रिक्शा (e-Rickshaw) चलाने वाली पहली महिला बनीं बल्कि उन्होंने अपने इलाके की महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं.


मीनाक्षी देवी के पति का किडनी फेल हो गया था. उनके दो बच्चे भी हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें अपना बिजनस बंद करना पड़ा और इतना ही नहीं कर्ज चुकाने के लिए कार भी बेचनी पड़ गई. आर्थिक विपत्ति झेल रही मीनाक्षी ने ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया. उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन्हें हतोत्साहित किया और ऑटो रिक्शा एसोसिशन की तरफ से भी समान व्यवहार झेलना पड़ा. उनके पति भी इसको लेकर सशंकित थे लेकिन तमाम विरोध के बाद भी मीनाक्षी ने यह कड़ा फैसला किया. 


ऑटो स्टैंड में पहली बार ऐसा रहा अनुभव
मीनाक्षी ने अपनी आपबीती पीटीआई के साथ साझा की. मीनाक्षी ने कहा, ''मुझे चार महीने का वह दिन याद है जब मैं पहली बार भद्रवाह के सेरी बाजार में ऑटो स्टैंड में अपना रिक्शा लेकर घुसी थी. न केवल राहगीरों ने बल्कि मेरे पुरुष सहकर्मी भी मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि मैं एलियन हूं. कुछ रिक्शा ड्राइवर ने मुझे सुझाया कि मैं घल चली जाऊं क्योंकि वे अपने ग्राहकों का जीवन खतरे में नहीं डालना चाहते. लेकिन नकारात्मकता से अप्रभावित रही और धीरे-धीरे लोगों का भरोसा जीता. मैं अब हर दिन 1500 से 2000 रुपये कमा लेती हूं. मुझे आज कोई मुश्किल से ही स्टैड पर ढूंढ सकता है क्योंकि मैं अपने लॉयल कस्टमर्स विशेषकर महिलाओं को लाने-ले जाने में व्यस्त रहती हूं.''


ऐसे ई-रिक्शा चलाने का किया फैसला
मीनीक्षा बताती हैं कि महिलाएं पुरुष ड्राइवर की जगह उनके साथ जाना पसंद करती हैं. एक साल पहले वह डोडा के भद्रवाह में परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी जी रही थीं लेकिन जब उनके पति का किडनी फेल हुआ तो वे लोग कर्ज में डूब गए. कर्ज बढ़ता जा रहा था, परिवार ने कार बेच दी और कर्ज चुकाने के लिए बिजनस भी बंद कर दिया. मीनाक्षी कहती हैं कि उन्होंने समस्याओं से निजात पाने के लिए कई विकल्प देखे तो उन्हें पता चला कि ई-रिक्शा सब्सिडी रेट पर उपलब्ध है. इस जोड़े ने ईएमआई पर ई-रिक्शा खरीदा और फिर उनके पति पम्मी शर्मा ने उन्हें ई-रिक्शा चलाना सिखाया. 


पति पम्मी शर्मा को मीनाक्षी पर गर्व
मीनाक्षी कहती हैं, मुझे खुशी होती है कि मेरी कड़ी मेहनत से पति का मेडिकल बिल पूरा हो जाता है और बेटों की जरूरतें पूरी हो जीत हैं. वहीं, उनके पति ने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा नहीं था कि मीनाक्षी भदरवा के बिजी बाजार में ई-रिक्शा चला लेगी लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था. आज न केलव मैं संतुष्ट हूं बल्कि मुझे इसपर गर्व है. 


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