Jammu Kashmir News: ईडी ने फारूक अब्दुल्ला से करीब साढ़े तीन घंटे की पूछताछ, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है मामला
J&K Cricket Association: ईडी के मुताबिक अहसान अहमद मिर्जा नामक शख्स ने जेकेसीए के अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर 51.90 करोड़ की हेरफेर की और पैसा का इस्तेमाल निजी कारोबार स्थापित करने में किया.
Farooq Abdullah: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के एक मामले में मंगलवार को यहां तीन घंटे से ज्यादा वक्त तक पूछताछ की. यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित आर्थिक अनियमितता से जुड़ा है. श्रीनगर से लोकसभा सांसद अब्दुल्ला सुबह 11 बजे राजबाग स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे. अंदर जाने से पहले, पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बात की और इस पूछताछ को जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़ा. उन्होंने कहा, "मैं (समन के बारे में) ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा. चुनाव होने हैं और वे तब तक हमें परेशान करेंगे."
साढ़े तीन घंटे तक चले सवाल-जवाब
करीब साढ़े तीन घंटे तक चले सवाल-जवाब के दौर के बाद कार्यालय से बाहर निकलते समय वे तनाव रहित दिखे, लेकिन उन्होंने बाहर इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया. ईडी ने 27 मई को अब्दुल्ला को धन शोधन के मामले में उनके श्रीनगर कार्यालय में हाजिर होने के लिए समन जारी किया था. अधिकारियों ने बताया कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रहे 84 वर्षीय अब्दुल्ला ने वर्ष 2019 में इसी मामले में अपना बयान दर्ज कराया था.
अब्दुल्ला 2001-12 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वरिष्ठ नेता अधिकारियों के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे जैसे उन्होंने अतीत में किया है. अब्दुल्ला वर्ष 2001 से 2012 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे और वर्ष 2004 से 2009 के बीच कथित वित्तीय हेराफेरी के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और ईडी कर रही है. ईडी पहले ही 21 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क कर चुकी है. इसमें अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल है.
पैसा का इस्तेमाल निजी कारोबार में किया
ईडी ने दावा किया कि उसकी अब तक की जांच से पता चला है कि अहसान अहमद मिर्जा नामक शख्स ने जेकेसीए के अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर जेकेसीए के कोष के 51.90 करोड़ रुपये की हेरफेर की और इससे हासिल पैसा का इस्तेमाल अपना निजी कारोबार स्थापित करने में किया.
इसने श्रीनगर के राममुंशी बाग थाने में दर्ज एक मामले के आधार पर जेकेसीए पदाधिकारियों के खिलाफ धन शोधन की जांच शुरू की. बाद में उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. सीबीआई ने जेकेसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ 43.69 करोड़ रुपये के धन की हेराफेरी के मामले में आरोप पत्र दायर किया है.