Jammu Kashmir: NCERT सिलेबस से मुगलों का चैप्टर हटाए जाने को लेकर गरमाई सियासत, फारुक अब्दुल्ला बोले...
Jammu and Kashmir News: फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि 800 साल हुकुमत की मुगलों ने, कभी किसी हिंदू, ईसाई, सिख को खतरा नहीं लगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार रही है.
Jammu and Kashmir: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पुस्तकों से मुगल इतिहास का अध्याय हटाए जाने को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने इसको लेकर कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता. फारुक अब्दुल्ला ने कहा, "इतिहास को बदला नहीं जा सकता. आपके पास लाल किला, ताजमहल और अन्य स्मारक हैं जो इतिहास हैं.'
'मुगलों से कभी किसी हिंदू, ईसाई, सिख को खतना नहीं लगा'
नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी प्रमुख अब्दुल्ला ने कहा कि तारीख मिट नहीं सकती. आप कितना इसको किताबों से निकालेंगे? शाहजहां, अकबर, हुमायूं, जहांगीर को कैसे भूल जाएंगे? 800 साल हुकुमत की (मुगलों ने) कभी किसी हिंदू, ईसाई, सिख को खतरा नहीं लगा. लाल किला, हुमायूं के मकबरे को कैसे छुपाएंगे? यह (केंद्र सरकार) अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार रही है.
किस बात को लेकर है विवाद
बता दें कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 12 की इतिहास की किताबों सहित विभिन्न कक्षाओं के लिए अपनी पुस्तकों में संशोधन किया और मुगल साम्राज्य के अध्यायों को हटाने का फैसला किया है, ये परिवर्तन पूरे देश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करने वाले सभी स्कूलों पर लागू होंगे.
चीन द्वारा अरुणाचल के 11 स्थानों के नाम बदलने को लेकर क्या बोले अब्दुल्ला
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के नामों को "मानकीकृत" करने की चीन की घोषणा के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा "यह कुछ ऐसा नहीं है जो अब हुआ है. लंबे समय से चीन दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका क्षेत्र है लेकिन भारत इस दावे को मानने को तैयार नहीं है.'
भारत और चीन में बढ़ा अविश्वास
बता दें कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के नाम बदल दिये है. चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत कहता है. चीन के इस कदम से इस कदम से नई दिल्ली और बीजिंग के बीच अविश्वास को ऐसे समय में और गहरा कर दिया है जब द्विपक्षीय संबंध दशकों में सबसे खराब स्थिति में हैं. गौरतलब है कि यह तीसरी बार है जब चीन ने 2017 के बाद से अरुणाचल प्रदेश में एकतरफा स्थानों के नाम बदल दिए हैं. चीन ने पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम बदले हैं.
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