डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति कर लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. साथ ही इस तरह के फैसलों को एक निर्वाचित सरकार पर छोड़ देना चाहिए. आजाद सोमवार को पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मैं सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और इसे निर्वाचित सरकार पर छोड़ने का अनुरोध करता हूं.
निर्वाचित सरकार की ओर से लिए जाएं ऐसे फैसले
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा कि नौ साल से जम्मू-कश्मीर में कोई चुनाव नहीं हुआ है और लोग इतने समय से चुनाव कराने का इंतजार कर रहे हैं ताकि इस तरह के फैसले एक चुनी हुई सरकार की तरफ से लिए जाएं. दुर्भाग्य से, विधानसभाओं में निर्वाचित सरकारों की तरफ से बनाए गए कानूनों को रद्द किया जा रहा है. मेरी सरकार ने रोशनी अधिनियम बनाया . मैंने इसे अपने घर में नहीं बनाया. उन्होंने कहा कि कानून विभाग और कैबिनेट ने इसकी जांच की थी, इसके बाद विधानसभा में इस पर चर्चा हुई थी. तब कई दलों की गठबंधन सरकार थी- और विपक्षी दलों ने भी इसके लिए मतदान किया था और कानून बनाया गया था. आजाद ने कहा कि एक बार जब कोई विधानसभा या संसद कानून बना लेती है, तो इसे इस तरह राज्यपाल द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अधिनियम के निरसन ने 70 फीसद जम्मू और कश्मीर, हिंदुओं और मुसलमानों को प्रभावित किया है.
10 फीसद गलत की वजह से 90 फीसद के लिए नहीं खत्म कर सकते योजना
यह स्वीकार करते हुए कि योजना के कार्यान्वयन में खामियां हो सकती हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल किया कि देश या दुनिया में किन योजनाओं को 100 प्रतिशत सही तरीके से लागू किया जा सकता है ? यह कैबिनेट या विधानसभा इन्हें जमीन पर लागू नहीं करती है. उनके पटवारी से सचिव तक स्तर हैं और कुछ दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन यह देखने के लिए सतर्कता आयोग और अदालत जैसी संस्थाएं हैं कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने भ्रष्टाचार या किसी और चीज के माध्यम से योजना का दुरुपयोग किया है.10 फीसदी लोग किसी भी योजना का हमेशा गलत इस्तेमाल करते हैं. उन्हें फांसी पर लटका दीजिए लेकिन आप 90 फीसदी के लिए योजना को खत्म नहीं कर सकते.आजाद ने कहा कि संपत्ति कर लगाना जम्मू-कश्मीर में मौजूदा प्रशासन का अधिकार नहीं है.
देश के बाकी हिस्सों की तुलना में 10 गुना है बेरोजगारी
उन्होंने कहा कि यह एक निर्वाचित सरकार का अधिकार है. राज्यपाल शासन, चाहे कांग्रेस में हो या बीजेपी में अस्थायी है और स्थायी नहीं है. चुनाव होना चाहिए और एक निर्वाचित सरकार को इस तरह के फैसले लेने होते हैं. आजाद ने कहा कि भले ही उनकी पार्टी सहित एक निर्वाचित सरकार हो, मौजूदा स्थिति में कर लगाना असंभव होगा. मैं टैक्स लगाने के बारे में भी 10 बार सोचूंगा जबकि मुझे विकास के लिए टैक्स चाहिए. जम्मू-कश्मीर राज्य पिछले 33 सालों से आतंकवाद को झेल रहा है. इसने बहुत लोगों की जान ले ली है, बेरोजगारी बढ़ी है और देश के बाकी हिस्सों की तुलना में 10 गुना से अधिक बेरोजगारी है. कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा कि सरकार को बुरा नहीं मानना चाहिए और संपत्ति कर लगाने के फैसले को वापस लेना चाहिए.
कोई भी सरकार हो पहले लोगों को टैक्स देने में सक्षम बनाए
यहां तक कि अगर कोई अन्य सरकार है, तो उसे पांच से छह साल के लिए इस कर को लागू करने पर विचार नहीं करना चाहिए. अंततः लोगों को यह कर देना होगा. लेकिन पहले, सरकार को लोगों को कर देने में सक्षम बनाना चाहिए. कोई विकास कार्य नहीं हो रहा है, हमारी आर्थिक स्थिति खराब है. पहले हमारे पर्यटन, बागवानी, हस्तकला क्षेत्रों को स्थिर होने दें.
ये भी पढ़ें :- J&K Politics: महबूबा मुफ्ती का आरोप, 'राष्ट्रवाद से कोई मतलब नहीं, वोट के लिए BJP ने पूरे मुल्क को बेच दिया'