Ghulam Nabi Azad: चार प्रधानमंत्रियों के साथ किया काम, मनमोहन कैबिनेट में रहे मंत्री, JK के बने CM, मोदी दौर में मिला पद्म भूषण
Ghulam Nabi Azad Resigns: गुलाम नबी आजाद , कांग्रेस के ऐसे नेता रहे जिनकी दोस्ती पार्टी लाइन के परे रही. 1973 से कांग्रेस की राजनीति शुरू करने वाले आजाद को साल 2022 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
Ghulam Nabi Azad Resigns: गुलाब नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस की प्राथमिकता सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. आजाद का ये कदम कांग्रेस के लिए जम्मू और कश्मीर में चुनावी आहट के बीच पार्टी के घातक साबित हो सकता है. गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के ऐसे नेता रहे हैं जिनकी दोस्ती पार्टी लाइन से परे थी. कांग्रेस के भीतर हो या उसके बाहर, आजाद हमेशा सभी दलों के प्रिय रहे.
इससे पहले आजाद ने पिछले हफ्ते जम्मू और कश्मीर में प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया था. आजाद के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पार्टी नेतृत्व से पहले ही अपनी मंशा साफ कर दी थी कि उन्हें कोई पद नहीं चाहिए इसके बाद भी उनके नाम का एलान किया गया. आजाद इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और डॉक्टर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में काबीना मंत्री रहे. इसके अलावा राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए वह कांग्रेस में वरिष्ठ पदों पर सक्रिय रहे.
इन तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे आजाद
साल 1982 में आजाद ने कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय के प्रभारी उप मंत्री के तौर पर काम किया. वहीं पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वह नागरिक उड्डयन मंत्री और पर्यटन मंत्री थे. इसके अलावा डॉक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आजाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री थे.
कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद का करियर, साल 1973 में हुआ. ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव पद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले आजाद को साल 1975 में जम्मू कश्मीर प्रदेश यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और फिर साल 1980 में उन्हें ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस के मुखिया पद की जिम्मेदारी दी गई. इसी साल वह महाराष्ट्र के वासिम से लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया. इसके बाद वह साल 1984 में भी लोकसभा के लिए चुने गए. फिर साल 1990 से 96 तक के लिए वह महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद रहे.
सीएम, केंद्रीय मंत्री और फिर पद्मभूषण
इसके बाद आजाद साल 1996 और फिर 2002 में जम्मू और कश्मीर से राज्यसभा सांसद थे. हालांकि साल 2006 में ही गुलाम ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसी दौरान वह 2005 में वह जम्मू और कश्मीर के सीएम बने. हालांकि वह सिर्फ जुलाई 2008 तक ही सीएम रह पाए. गठबंधन की सरकार में पीडीपी ने कांग्रेस से समर्थन वापस लेने का फैसला कर लिया था. इसके बाद साल 2009 में यूपीए की सरकार दोबारा चुने जाने पर वह स्वास्थय मंत्री बने. वहीं साल 2014 में केंद्र में बीजेपी नीत एनडीए के सत्ता में आने पर आजाद को राज्यसभा में नेता विपक्ष बनाया गया.
इतना ही नहीं फरवरी 2021 में जब राज्यसभा से गुलाम नबी सेवानिवृत्त हो रहे थे, तब एक संबोधन में पीएम मोदी ने उनकी खूब तारीफ की. आजाद भी इसी दौरान एक संबोधन में भावुक हो गए थे. इसके बाद ही साल 2022 में केंद्र ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि जम्मू और कश्मीर में बीजेपी गुलाम नबी आजाद पर दांव खेल सकती है. वहीं सूत्रों का दावा है कि आजाद अपनी पार्टी बना सकते हैं.
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