Lok Sabha Elections: 'केवल भाव खाने की बात है', महबूबा मुफ्ती की पार्टी पर ऐसा क्यों बोले गुलाम नबी आजाद?
Lok Sabha Elections 2024: जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर चुनाव की तारीख करीब 20 दिन के लिए बढ़ा दी गई है. इसको लेकर पीडीपी चीफ और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाए हैं.
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी (Anantnag) सीट पर चुनाव की तारीख में बदलाव कर दिया गया है. सात मई की जगह 25 मई को होगा, जब बीजेपी समेत प्रमुख पार्टियों ने चुनाव आयोग को याचिका दायर कर कहा था कि वे चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं इसलिए चुनाव की तारीख बढ़ाई जाए. पीडीपी का आरोप है कि ये फैसला इसलिए लिया गया ताकि पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती चुनाव न जीत पाएं. इस पर डेमोक्रैटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि इसे महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की भाव खाने की कोशिश करार दिया है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''कौन नेशनल पार्टी पीडीपी में रुचि रखती है. पीडीपी को राष्ट्रीय स्तर पर कौन जानता है. यह केवल भाव खाने की बात है.'' चुनाव की तारीख बढ़ाए जाने पर आजाद ने कहा कि अगर एक सप्ताह पहले बढ़ा दिया जाता तो हमें भी समय मिल जाता. हालांकि हम फिर भी जाएंगे.
#WATCH | Poonch, J&K: On the revision of the polling date in Anantnag-Rajouri Lok Sabha constituency, Democratic Progressive Azad Party (DPAP) chief Ghulam Nabi Azad says, "I had held a few public meetings one month ago in Rajouri-Poonch where I was on a five-day visit... We had… pic.twitter.com/2njaAFUsA6
— ANI (@ANI) May 2, 2024
और समय मिलता तो अच्छी तैयारी होती- आजाद
पूर्व सीएम आजाद ने कहा, ''मैं एक महीने पहले पब्लिक मीटिंग करने गया था. मेरा पांच दिन का दौरा था. राजौरी और पुंछ में मेरा दौरा हुआ था. बहुत सफल रहा था लेकिन कैंडिडेट को लाना जरूर था. आज हमारे साथ कैंडिडेट भी थे. कम समय में इन्होंने चीजें आयोजित कीं. अगर एक सप्ताह पहले चुनाव की तारीख बढ़ाई जाती तो हम बड़ी तैयारी के साथ यहां आते. खैर हम फिर वापस आएंगे.''
उधर, गुलाम नबी आजाद ने मतदान की तारीख में बदलाव पर उठ रहे सवालों पर कहा, ''1998 में फारूक अब्दुल्ला सीएम थे और आईके गुजराल पीएम थे. चुनाव आयोग कांग्रेस द्वारा बनाया हुआ था.कांग्रेस, गुजराल साहब को सपोर्ट कर रही थी. कांग्रेस और गुजराल मिलकर फारूक साहब को सपोर्ट कर रहे थे. सेंटर और राज्य में एक ही पार्टी थी और उनके ही चुने अधिकारी थे. सुबह चुनाव हुआ और शाम में पोस्टपोन हो गई. किसी ने कोई शोर नहीं मचाया कि किसको फायदा पहुंचाया.''