Indian Army Patrolling in Snowfall: जानिए उन जगहों के बारे में जहां भारतीय सेना भीषण ठंड में भी करती है सीमा की सुरक्षा
भारतीय सेना का अदम्य साहस भारत के दुश्मनों के सामने मजबूत दीवार की तरह हमेशा खड़ा रहता है. उस समय भी जब जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है, नसों में खून जमने लगता है.
Indian Army News: भरतीय सेना (Indian Army) हमेशा से कठिन परिस्थतियों से पार पाने के लिए जानी जाती है. उन्होंने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से भारत की सीमा को अभेद्य कर दिया है, विशेष रूप से उन दिनों में भी जब हम जरा सा पारा गिरने पर ही अपने आपको गर्म चीजों से घेरने की कोशिश शुरू कर देते हैं. वहीं सेना के जवान कई इंटरनेशनल बॉर्डर भारी ठंड और बर्फबारी के बीच माइनस 30 डिग्री से भी कम तापमान में भी मुस्तैद रहते हैं. ख़बरों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में सेना की 60 फ़ीसदी से अधिक चौकियों का संपर्क दुनिया भर से टूट जाता है.
भारतीय जवानों का एक वीडियो (Video) सामने आया है. इस विडियो को पब्लिक रिलेशन ऑफिस डिफेंस (PRO) ने जारी किया है. जिसमें देखा जा रहा है कि भारी बर्फबारी के बीच सेना के जवान जीरो से कई डिग्री नीचे के तापमान पर भी लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल (LOC) पर पेट्रोलिंग करते दिख रहे हैं.
#WATCH Indian Army troops carrying out patrolling along the Line of Control under heavy snowfall
— ANI (@ANI) January 8, 2022
(Video source: PRO Defence, Jammu) pic.twitter.com/eBS6619i3L
इन देशों से लगती चौकी पर अधिक पड़ती है ठंडक और सबसे अधिक गतिरोध भी
पकिस्तान की उत्पत्ति के बाद से ही सीमा पर गतिरोध की स्थिति बनी रहती है. वहीं ठंडक और भारी-बर्फ़बारी के बीच आतंकवादी घुसपैठ के मामलों में इजाफा हो जाता है. पिछले कुछ समय से चीन और नेपाल के साथ भी लगी सीमा पर भी हालात सामान्य नहीं हैं. आए दिन सीमा पर विवाद की बातें आम हो गई हैं. इसके चलते भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं. भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान 10 हजार से 16 हजार फुट तक की ऊंचाई पर शून्य से माइनस बीस डिग्री सेल्सियस तापमान में भी पूरी सजगता और साहस से ड्यूटी दे रहे हैं.
वहीं भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल मई 2020 से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक टकराव के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा पर काफी संख्या में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी. भारत-चीन के साथ 3488 किमी. लम्बी सीमा साझा करता है. सर्दियों चीन से लगी सीमा अक्सर जगहों पर जीवन दुष्कर हो जाता है, फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से सेना ऐसे कठिन परिस्थितियों में जमी रहती है.
सर्दियों में भारत की इन प्रमुख सीमाओं पर परिस्थितियां होती हैं सबसे कठिन
सियाचिन ग्लेशियर
सियाचिन में एक बार तापमान माइनस 60 डिग्री तक चला गया था, बावजूद भारतीय सेना के जवान वहां ड्यूटी करते रहे. यह पूर्वी काराकोरम रेंज में 5753 मीटर की ऊंचाई पर जबकि, समुंद्र तल से 18 हजार 875 फीट की ऊंचाई पर है. यहां सर्दियों में औसत बर्फबारी 1000 सेमी. से अधिक है और तापमान करीब माइनस 50 डिग्री तक चला जाता है.
- आसान नहीं है सियाचीन पहुंचना
- यहां आर्मी के बेस कैंप तक पहुंचने का रास्ता लेह से शुरू होता है. यह रास्ता आसान नहीं है.
- लेह से सियाचिन बेस कैंप का रास्ता 230 किलोमीटर लंबा है, जो कि दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क मार्ग खारदुंगला से होकर गुजरता है.
- सियाचिन की 45 से ज्यादा ऊंची चोटियों की निगरानी भारतीय सेना करती है.
- यहां ऑक्सीजन की भारी कमी होती है. फिर भी बर्फीले और जानलेवा हालात में सेना यहां मुस्तैदी से तैनात रहती है.
कश्मीर के यह इलाके भी हैं खतरनाक
द्रास, जम्मू-कश्मीर के करगिल जिला में है. यह भारत के सबसे ठंडे इलाकों में से है और सर्दियों में यहां तापमान माइनस 45 डिग्री तक गिर जाता है. यहां माइनस 60 डिग्री तक तापमान मापा जा चुका है.
जम्मू-कश्मीर का उड़ी सेक्टर बर्फबारी के लिए मशहूर
यहां जीरो डिग्री से कम तापमान (जो माइनस 20 डिग्री तक जा सकता है) में सेना के जवान बॉर्डर की सुरक्षा करते हैं. बर्फबारी के दौरान यहां पहुंचना एक मुश्किल चुनौती है. अगर बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हों तो यहां पहुंचने में आपको महीने भर भी लग सकते हैं.
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