आईपीएस नलिन प्रभात जम्मू कश्मीर के नए डीजीपी हो सकते हैं. केंद्र सरकार ने एनएसजी के महानिदेशक नलिन प्रभात का कार्यकाल बुधवार को समय से पहले समाप्त कर दिया और आंध्र प्रदेश कैडर से एजीएमयूटी कैडर में उनकी प्रतिनियुक्ति का आदेश दिया.
नियुक्ति से संबंधित मंत्रिमंडल की समिति (एसीसी) की ओर से जारी आदेश के मुताबिक समिति ने ‘नेशनल सेक्युरिटी गार्ड (एनएसजी)’ के महानिदेशक के तौर पर 1992 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी प्रभात का कार्यकाल समय से पहले खत्म करने के गृहमंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है.
आदेश में कहा गया है, एसीसी ने अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति दिशा-निर्देशों में छूट देते हुए आंध्र प्रदेश के आईपीएस प्रभात की एजीएमयूटी कैडर में अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है, जो एजीएमयूटी कैडर में शामिल होने की तारीख से तीन साल के लिए या अगले आदेशों तक, जो भी पहले हो, के लिए होगी. समझा जाता है कि दाआईपीएस अधिकारी प्रभात को नयी जिम्मेरी दी जा सकती है. एजीएमयूटी का तात्पर्य अरूणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम एवं केंद्रशासित प्रदेश है जिसके लिए नियंत्रक निकाय केंद्रीय गृह मंत्रालय है.
नलिन प्रभात का संबंध हिमाचल प्रदेश के मनाली से है. एनएसजी का डीजी नियुक्त किए जाने से पहले वो सीआरपीएफ में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर सेवा दे चुके हैं. एनएसजी चीफ नियुक्त किए जाने पर उन्हें मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू ने बधाई दी थी.
आतंकवाद से निपटना होगी चुनौती
अगर नलिन प्रभात जम्मू-कश्मीर के डीजीपी बनते हैं तो उनके सामने आतंकवाद से निपटना बड़ी चुनौती होगी. जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक अधिकारी की जान चली गई. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में बुधवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कैप्टन शहीद हो गए और एक आतंकी भी मारा गया. स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले हुई इस मुठभेड़ में एक नागरिक भी घायल हो गया. हाल में जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में तेजी आई है. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर-डोडा-किश्तवाड़ क्षेत्र में पिछले कुछ दिन में यह चौथी मुठभेड़ है.
इसके साथ ही दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी तेज हो गई हैं. निर्वाचन आयोग ने जम्मू कश्मीर में चुनाव तैयारियों की पिछले सप्ताह समीक्षा की थी. लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में रिकॉर्ड मतदान देखने को मिला. जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया आमतौर पर एक महीने तक चलती है. परिसीमन कवायद के बाद, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए आवंटित सीटों को छोड़कर विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. (पीटीआई के इनपुट के साथ)
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