J&K News: क्या अब राजनीति से संन्यास लेंगे गुलाम नबी आजाद, जानिए- सोनिया गांधी से मुलाकात के दूसरे दिन क्या बड़ा बयान दिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि वे समाज सेवा में ज्यादा सक्रिय रहना चाहते हैं.
जम्मू-कश्मीर: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) अपने एक बड़े बयान की वजह से सुर्खियों में आ गए हैं. उनका ये बयान सोनिया गांधी से मुलाकात के दूसरे दिन आया है. दरअसल उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिए हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्हें अक्सर राजनीति से संन्यास लेने और समाज सेवा में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने की लालसा होती है.
आजाद ने एक कार्यक्रम के दौरान राजनीति से संन्यांस लेने के दिए संकेत
बता दें कि एक कार्यक्रम में नागरिक समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए, आजाद ने कहा, “हमको एक समाज में बदलाव लाना है, कभी कभी में सोचता हूं, और कोई बड़ी बात नहीं की, अचानक आप समझें की हम रिटायर हो गए और समाज सेवा में लग गए.” ये कार्यक्रम रविवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और वरिष्ठ वकील एमके भारद्वाज की तरफ से आयोजित किया गया था.
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गुलाब नबी आजाद ने कहा कि वह राजनीति पर कुछ नहीं बोलेंगे
गुलाम नबी आजाद यहां 35 मिनट तक बोले, लेकिन उन्होंने यह पहले ही बता दिया था कि राजनीति पर नहीं बोलेंगे. उन्होंने कहा कि, 'भारत में राजनीति इतनी खराब हो गई है कि कई बार शक होता है कि क्या हम इंसान हैं.' उन्होंने कहा कि औसत मानव जीवन अब 80-85 वर्ष है. राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए व्यक्तियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद की 20-25 साल की लंबी अवधि का उपयोग करना समझ में आता है. उन्होंने कहा, "हम सब अगर एक शहर को, एक प्रांत को ठीक करेंगे, तो पूरा हिंदुस्तान ठीक होगा.”उन्होंने अपना भाषण समाप्त करते हुए कहा, "मैं अपने आप को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में ... एक इंसान की क्षमता में ... उस असली काम के लिए, सेवा के लिए, इंसान के लिए, अपने आप को समर्पित करता हूं. जब भी आप चाहेंगे मेरे को आप अपने साथ देखेंगे.”
गुलाम बनी आजाद की राजनीति में कब हुई थी एंट्री
बता दें कि गुलाम बनी आजाद 1973 में कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बने थे. साल 1973-1975 में वह ब्लेस्सा कांग्रेस समिति के ब्लॉक सचिव रहे. वर्ष 1975 में वह जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और फिर 1977 में डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. जल्द ही वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव भी बन गए. वर्ष 1982 में गुलाम नबी आजाद ने पहले केन्द्रीय उपमंत्री के तौर पर कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्रालय संभाला. वर्ष 1985 में गुलाम नबी आजाद गृह राज्य मंत्री बने. पी.वी. नरसिंह राव सरकार में गुलाम नबी आजाद ने संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और बाद में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री का चार्ज संभाला. वह मनमोहन सिंह सरकार में भी मंत्री रहे. 2007 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री चुने गए.
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