Jammu and Kashmir News: राजस्थान के व्यापारी आशिक मोहम्मद हर साल ईद-उल-अजहा से पहले कुर्बानी के जानवर लेकर यहां आते हैं और कुछ ही दिन में उन्हें बेचकर घर वापस चले जाते हैं. हालांकि, इस साल ऊंची कीमतों के कारण खरीदारों की बेरुखी के चलते उनका इंतजार बढ़ता जा रहा है. मोहम्मद ने कहा कि मैं पांच साल से यहां आ रहा हूं. इस साल कारोबार बहुत मंदा है. लोग इन जानवरों को खरीदना चाहते हैं, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण पहले जैसी खरीद नहीं हो रही.


'ज्यादातर जानवर नहीं बिके हैं'


उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में मेरे जानवर दो दिन में बिक जाते थे. इस साल पांच दिन हो गए हैं और ज्यादातर जानवर नहीं बिके हैं. पशु बाजार में कुछ व्यापारियों ने कहा कि वे अपने पशुओं को घाटे में बेच रहे हैं. कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में रहने वाले मोहम्मद शफी ने कहा कि वह अच्छे दामों की उम्मीद में, घर में पाले गए लगभग 35 जानवरों को बेचने लाए हैं.


'मुझे घाटा हो रहा है'


शफी ने कहा कि पिछले दो दिन में, मैंने केवल आठ से 10 जानवर ही बेचे हैं. इस साल कारोबार मंदा है. खरीदारों के पास जानवर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोलाब क्षेत्र के एक पशु व्यापारी अब्दुल माजिद ने कहा कि मैं अपने गृहनगर से 50 भेड़ यहां बेचने के लिए लाया था. मैंने उन्हें 330 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदा और लगभग उसी कीमत पर बेच रहा हूं. इस वजह से मुझे घाटा हो रहा है.


ईद-उल-अजहा का त्योहार बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा. इस त्योहार पर कुर्बानी देने की परंपरा सदियों पहले शुरू हुई थी जब पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की राह में अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए थे.


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