Jammu Kashmir Congress: कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले पांच विधायकों के मनोनीत करने के कदम का शुक्रवार (चार अक्टूबर) को कड़ा विरोध किया. पार्टी ने ऐसे किसी भी निर्णय को लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला करार दिया है. खबरों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में पहली बार नई सरकार के गठन में पांच मनोनीत विधायकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. 


केंद्र शासित प्रदेश में एक दशक के अंतराल के बाद चुनाव हुए हैं. गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर उपराज्यपाल (एलजी) इन सदस्यों को नामित करेंगे. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में 26 जुलाई, 2023 को संशोधन करने के बाद यह प्रक्रिया शुरू की गई.


सरकार बनाने के लिए बहुमत आंकड़ा 48


पांच विधायकों को मनोनीत किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सदस्य संख्या 95 हो जाएगी, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा.


जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले उपराज्यपाल द्वारा पांच विधायकों को मनोनीत करने का विरोध करते हैं. ऐसा कोई भी कदम लोकतंत्र, जनादेश और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला करने के समान है.’’


उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी असहमति और विरोध जताया तथा इसका डटकर मुकाबला करने की घोषणा की. इस दौरान पार्टी नेता रमन भल्ला भी मौजूद थे.


'मनोनयन के हक का दुरुपयोग गलत'


रवींद्र शर्मा ने कहा, ‘‘संविधान के मुताबिक उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना चाहिए. चुनाव के बाद बहुमत या अल्पमत की स्थिति को बदलने के लिए मनोनयन के प्रावधान का दुरुपयोग करना हानिकारक होगा.’’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार उपराज्यपाल के पास कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओके) के शरणार्थियों सहित पांच विधायकों को नामित करने का अधिकार है.


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