Jammu and Kashmir News: जम्मू और कश्मीर हाई-डेंसिटी प्लांटेशन (एचडीपी) प्रणाली और गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के उत्पादन के साथ अपने फल उद्योग में क्रांति (Fruit Revolution) लाने के लिए पूरी तरह तैयार है. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Sher-i-Kashmir University of Agricultural Sciences and Technology) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान (Indian Council of Agricultural Research) के सहयोग से बागवानी विभाग (Horticulture Department) को नई परियोजना के लिए तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करने का मौका मिला है. 


क्या है परियोजना का लक्ष्य
परियोजना का लक्ष्य पहले पांच वर्षो में रोपण सामग्री की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 111 लाख करना, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में 390 हेक्टेयर नर्सरी विकसित करना, 2000 हेक्टेयर बाग क्षेत्रों का कायाकल्प करना और 12 के एचडीपी के तहत फलों की फसलों के लिए 5,500 हेक्टेयर को कवर करना है.


25,000 लोगों को मिलेगा रोजगार
इसके अलावा, परियोजना का उद्देश्य एसकेयूएएसटी और बागवानी विभाग से 5,000 किसानों और 150 तकनीकी जनशक्ति को प्रशिक्षित करके क्षमता निर्माण के अलावा संयंत्र परीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण, टिशू कल्चर और वायरस अनुक्रमण प्रयोगशालाओं को मजबूत करना है. परियोजना एचडी नर्सरी के रूप में 200 नए उद्यमों का निर्माण करेगी और 25,000 व्यक्तियों को संभावित रोजगार प्रदान करेगी.


अधिकारी ने क्या कहा
अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन, अटल डुल्लू ने कहा, "क्षेत्र में गुणवत्ता रोपण सामग्री की मौजूदा कमी फल उद्योग की क्षमता को सीमित करती है और आयात में लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च करती है, जो नए कीट और बीमारियां भी लाती है." उन्होंने कहा, परियोजना का मिशन घरेलू स्तर पर गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का उत्पादन करना, आयात को कम करना, फलों की फसलों के उच्च घनत्व वाले पौधरोपण को प्राथमिकता देना, पुराने बागों को अधिक उत्पादक बाग प्रणालियों में बदलना और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करने के लिए फल उद्योग में विविधता लाना है.


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