पुंछ: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में मुस्लिम मौलवियों ने समुदाय में शादी के कार्यक्रमों के दौरान संगीत बजाने और डीजे लगाने के खिलाफ फतवा जारी किया है. मैलवियों ने कहा है कि वे फतवे की अवहेलना करने वाले किसी भी परिवार के लिए शादी या मौत की रस्में नहीं करेंगे. इसके साथ ही फतवे में यह भी कहा गया है कि आसपास के जंगलों में घास काटने वाले समुदाय के सदस्यों को ढोल (जंगली जानवरों को दूर रखने के लिए) नहीं बजाना चाहिए.


मेंढर तहसील के जामा मस्जिद, सागर में बैठक के दौरान जारी किया गया फतवा


बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में मेंढर तहसील के जामा मस्जिद, सागर में एक बैठक के बाद विभिन्न मस्जिदों के मौलवियों द्वारा फतवा जारी किया गया था. बैठक में सगरा, मनकोट, डबराज, चौकी और बलनोई जैसे गांवों के मौलवी और आम जनता ने शिरकत की थी. इस घोषणा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पुंछ के डिप्टी कमिश्नर इंदर जीत ने बताया कि वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है.


फतवे में ये घोषणा की गई है


गौरतलब है कि बैठक में लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए, मौलवी ने कहा कि वे घर में जिनके परिवार के सदस्य पहले शादी में डीजे लगाते थे या घास काटने के दौरान ढोल बजाते थे, उनके यहां कोई भी मौलवी या इमाम "नमाज-ए-जनाजा" (किसी व्यक्ति की मृत्यु पर की गई प्रार्थना), "खतम" (दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना) "गयरवी" (एक इच्छा पूरी होने के बाद एक पीर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित दावत) में भाग नहीं लेगा. इतना ही नहीं डीजे बजाने और ढोल बजाने को गैर-इस्लामी बताते हुए मौलवियों ने ये घोषणा भी की कि वे ऐसे घरों में निकाह भी नहीं कराएंगे जो पहले इस तरह की गतिविधियों में शामिल थे.


फतवे की अवेहलना करने वाले को माफी मांगनी होगी और जुर्माना भरना होगा


ये भी कहा गया कि जो कोई भी फतवे की अवहेलना करेगा उसे मस्जिद में जुमे की नमाज में सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी और जुर्माना भी भरना होगा. उन्होंने कहा कि जो कोई भी इसका पालन करने से इनकार करेगा, उसे बहिष्कृत कर दिया जाएगा, और कोई भी मौलवी किसी भी अवसर पर उनके घर नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई मौलवी ऐसे घर जाता है तो सभी मौलवी और लोग उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.


आम जनता ने की फतवे की आलोचना


ये फतवा, जम्मू-कश्मीर में पहला नहीं है. हालांकि आम जनता ने इसकी आलोचना की है. वहीं मेंढर के एक समुदाय के सदस्य ने कहा, "वे (मौलवी) फतवे जारी करते रहते हैं, लेकिन कौन सुनता है क्योंकि इन फतवों की कोई कानूनी वैधता नहीं है." समुदाय के एक सरकारी कर्मचारी ने कहा कि कुछ समय बाद मौलवी भी इन फतवों की अनदेखी करने लगते हैं क्योंकि वे अपनी आजीविका के लिए लोगों पर निर्भर हैं.


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