J&K News: घाटी में आतंकियों पर कहर बनकर टूट रहे सुरक्षाबल, चार महीनों में मारे गए 62 दहशतगर्द
कश्मीर घाटी में इस साल की शुरुआत से अब तक घाटी में 62 आतंकवादी मारे जा चुके हैं जबकि 2021 के पहले चार महीनों में 37 लोगों की मौत हो गई थी. इसे बेहतर ह्युमन इंटेलीजेंस का परिणाम माना जा रहा है.
Kashmir Terrorsit Killings: पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस साल के पहले चार महीनों में कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों की संख्या में भारी उछाल देखा गया है. जम्मू और कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) पुलिस के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, साल की शुरुआत से अब तक घाटी में 62 आतंकवादी मारे जा चुके हैं जबकि 2021 के पहले चार महीनों में 37 लोगों की मौत हो गई थी.
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस साल मारे गए 62 में से 15 की पहचान "विदेशी" आतंकवादियों (पाकिस्तान से) के रूप में की गई है. इसके विपरीत, 2021 के पहले चार महीनों में कोई भी विदेशी आतंकवादी नहीं मारा गया. वास्तव में, पूरे वर्ष में मारे गए विदेशी आतंकवादियों की कुल संख्या सिर्फ 20 थी जबकि 2021 में कश्मीर में कुल 168 आतंकवादी मारे गए थे.
आईजी (कश्मीर) विजय कुमार ने बताई यह बात
सूत्रों ने बढ़े हुए ऑपरेशन के अलावा इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बेहतर खुफिया पीढ़ी को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया. सूत्रों ने कहा कि यह घाटी में अशांति फैलाने के लिए सीमा पार से अधिक दबाव का भी संकेत है. बकौल इंडियन एक्सप्रेस, आईजी (कश्मीर) विजय कुमार ने बताया कि "हालिया सफलता अच्छी ह्युमन इंटेलीजेंस और तकनीकी व केंद्रित ऑपरेशन दोनों का परिणाम है. इसका परिणाम यह है कि आतंकवादियों के जीवित रहने की दर में भारी कमी आ रही है. इस साल मारे गए 62 आतंकवादियों में से 32 आतंकवाद में शामिल होने के सिर्फ तीन महीने के भीतर मारे गए''
सुर्खियों में न आने से परेशान हैं आतंकी
जानकारी के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने छोटे हथियारों में भेजकर, ड्रोन के जरिए तस्करी करके और सॉफ्ट टारगेट पर हमले शुरू करने के लिए ओवरग्राउंड वर्कर्स का इस्तेमाल करके भी रणनीति बदल दी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि “सुर्खियों में न आने के कारण आतंकी परेशान हैं. इन लोगों को पकड़ना भी मुश्किल है क्योंकि ये पूर्णकालिक आतंकवादी नहीं हैं, उनके पास नियमित नौकरी है और यहां तक कि काम पूरा करने के बाद वे अपने हथियार हैंडलर को वापस कर देते हैं.”
सुरक्षाबल लगातार लता रहे हैं ऑपरेशन
बता दें कि इस साल मार्च और अप्रैल के महीनों में अक्टूबर 2021 की कमी देखी गई जब घाटी में प्रवासी कामगारों और कश्मीरी पंडितों पर कई हमले किए गए. इन दो महीनों में जहां सात प्रवासी कामगारों और एक कश्मीरी पंडित को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी, वहीं सुरक्षा बल के पिकेटों पर भी हमले बढ़े थे. इसका मुकाबला करने के लिए, सुरक्षा बल नियमित रूप से घाटी में खुफिया-आधारित अभियान चला रहे हैं, लश्कर और जैश जैसे संगठनों के कुछ शीर्ष कमांडरों को मार रहे हैं, और इन समूहों के कई ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को उठा रहे हैं.
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