Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में अनुच्छेद 370 और 35 (ए) की बहाली के लिए क्षेत्र के लोगों को किसानों की तरह बलिदान करना पड़ सकता है.  


नेशनल कॉंफ्रेंस पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 116वीं जयंती के अवसर पर नसीमबाग स्थित उनके मकबरे में नेकां की युवा शाखा के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी हिंसा का समर्थन नहीं करती है.


एकजुट रहें तो लक्ष्य किया जा सकता है हासिल


अब्दुल्ला ने कहा कि इस साल नवंबर में हैदरपोरा मुठभेड़ के बाद हुए विरोध प्रदर्शन, जिसके बाद दो नागरिकों के शव उनके परिवारों को लौटा दिए गए थे ने आगे का रास्ता दिखाया है और अगर लोग एकजुट रहें, तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.


अपने अधिकारों को पाने के लिए किसानो की तरह देना पड़ सकता है बलिदान


अब्दुल्ला ने कहा कि, उन्होंने (किसानों ने) 11 महीने तक विरोध किया और उनमें से 700 की मौत हुई. तब जाकर सरकार को तीन कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हमें अपने अधिकारों को पाने के लिए किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है. हमने अनुच्छेद 370 को वापस पाने का वादा किया है और 35 (ए) और राज्य का दर्जा ... हम बलिदान के लिए तैयार हैं."


अब्दुल्ला ने कहा, "हमें एकजुट रहना चाहिए. हमें अपने भीतर के छोटे-छोटे मतभेदों को भूलना चाहिए और हमें एक डोर पकड़नी चाहिए. "


19 नवंबर को पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को ले लिया था वापस


बता दें कि किसानों के लगभग एक साल के विरोध के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. जिसके बाद संसद के चालू शीत सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को पारित किया गया. 


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