Jammu Kashmir News : अखरोट की लकड़ी से बनता है ऐसा फर्नीचर देखकर रह जाएंगे हैरान आप
JK News : अखरोट की लकड़ी से हस्तशिल्प और फर्नीचर बनाया जाता है. इसके लिए एक हजार से दो हजार साल पुराने पेड़ को उपयोग होता है जो फल नहीं देते हैं.
JK News : अब तक आपने अखरोट खाया तो खूब होगा और इसका नाम सुनते ही जो पहला ख्याल आपके दिमाग में जम्मू और कश्मीर का आता होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि अखरोट की लकड़ी से हस्तशिल्प और फर्नीचर भी बनाया जाता है? चलिए तो हम आपको बताते हैं कि अखरोट की लकड़ी का क्या इस्तेमाल होता है?
जिस अखरोट को आप सिर्फ खाने में इस्तेमाल करते हैं दरअसल उसके लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है. अखरोट की लकड़ी का यह फर्नीचर सिर्फ और सिर्फ कश्मीर की वादियों में बनाया जाता है. वही कश्मीर जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है. जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है. वहां अखरोट की लकड़ी का फर्नीचर बनाया जाता है.
अखरोट की लकड़ी के फायदे
अखरोट की लकड़ी के फर्नीचर के बारे में जब कश्मीर से आए एक दुकानदार से बात की. दुकानदार ने बताया कि अखरोट के पेड़ काफी पुराने होते हैं. तकरीबन एक हजार से दो हजार साल पुराने पेड़ की लकड़ी लेकर फर्नीचर और हैंड क्राफ्ट बनाया जाता है. इतना ही नहीं अखरोट की लकड़ी काफी मजबूत होती है क्योंकि अखरोट की लकड़ी में नमी होती है. इसकी वजह से इसमें ना दिमग लगता है और ना ही जल्दी खराब होती है।
अखरोट की लकड़ी से कैसे बनता है फर्नीचर
कश्मीरी दुकानदार से जब पुछा गया कि इस लकड़ी से फर्नीचर बनाया कैसे जाता है? तो दुकानदार ने कहा कि फर्नीचर बनाने के लिए उसी पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें फल नहीं होते, कहने का मतलब यह है कि जो पेड़ फल देते हैं उसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने के लिए नहीं किया जाता है. इसके साथ ही जब उनसे पुछा गया कि एक सामान को बनाने में कितने दिन लगते हैं. तो उन्होंने बताया कि हर सामान के बनने का समय अलग-अलग है. अगर एक छोटे से बॉक्स की बात की जाए जिसमें आप अपने घर का कोई सामान रख सकते हैं या अपने सजने का सामान रख सकते हैं तो उसे बनने में कम से कम 10 दिन लगते हैं.
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