‘चुनाव हराम थे, अब हलाल हो गए’ जमात-ए-इस्लामी नेताओं के चुनाव लड़ने पर उमर अब्दुल्ला का तंज
Jammu Kashmir Election 2024: जमात-ए-इस्लामी नेताओं के विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले पर उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा कि देर आए दुरुस्त आए, अच्छा है कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
Jammu Kashmir Assembly Election 2024: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि प्रतिबंधित संगठन जमात इस्लामी के नेताओं का आगामी जम्मू-कश्मीर चुनावों में भाग लेने का फैसला समय के अनुकूल है. हमें बताया गया था कि चुनाव हराम (निषिद्ध) हैं, लेकिन अब चुनाव हलाल (मान्य) हो गए हैं. देर आए दुरुस्त आए. अनंतनाग जिले के पहलगाम में मीडिया से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि लोकतंत्र ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि 35 साल तक जमात इस्लामी एक खास राजनीतिक विचारधारा पर चलती रही जो अब बदल गई है. अच्छा है. हम चाहते थे कि जमात से प्रतिबंध हटा दिया जाए और वे अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन, ये भी अच्छा है कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के बीजेपी के साथ रिश्ते सार्वजनिक’
वहीं एक सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह मतदाताओं को तय करना है कि अगर जमात पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) को समर्थन देती है तो वह किस पार्टी का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के बीजेपी के साथ रिश्ते सार्वजनिक हैं. यदि जमात पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का समर्थन करती है, तो मतदाता को पता चल जाएगा कि वे किस पक्ष का समर्थन कर रहे हैं. वहीं पूर्व सीएम ने विश्वास जताया कि 4 अक्टूबर को परिणाम आने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत मिलेगा.
सज्जाद लोन की भी आई प्रतिक्रिया
वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखते हुए जमात से जुड़े व्यक्तियों के चुनाव लड़ने के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि अगर यह खबर सच है कि जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कुछ लोग चुनाव लड़ रहे हैं तो मुझे बेहद खुशी होगी. उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि ऐसा होगा. जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जमात 1989 से पहले मुख्यधारा के राजनीतिक क्षेत्र में सह-अस्तित्व में थे.
सज्जाद लोन ने कहा कि हम शायद ही कभी राजनीतिक रूप से सहमत हुए हों और अक्सर चुनावों में एक-दूसरे से कटुतापूर्वक लड़ते रहे हों. लेकिन, वैचारिक रूप से कभी कोई ओवरलैप नहीं हुआ. उनके कई प्रमुख नेताओं ने कई साल जेल में बिताए, अक्सर मेरे दिवंगत पिता भी जेल में रहते थे. आज हम एक बार फिर उनके खिलाफ मैदान में उतरेंगे. लेकिन, हमारे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, मुझे खुशी है कि एक पार्टी जिसने वास्तव में संघर्ष किया है वह चुनाव में भाग लेगी.
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