जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और महबूबा मुफ्ती की पार्टी को झटका! इन सीटों से उम्मीदवारों का नॉमिनेशन फॉर्म रिजेक्ट
Jammu Kashmir Assembly Election: कश्मीर की डोडा सीट से बीजेपी उम्मीदवार राकेश कुमार का नामांकन रद्द कर दिया गया है. वहीं जैनपोरा से पीडीपी के प्रत्याशी सरजन बरकती का भी नॉमिनेशन रिजेक्ट हो गया है.
Jammu Kashmir Assembly Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा से पहले यहां बीजेपी को झटका लगा है. कश्मीर की डोडा विधानसभा सीट से उम्मीदवार राकेश कुमार का नॉमिनेशन फॉर्म रिजेक्ट कर दिया गया है. इसके अलावा महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के लिए भी बुरी खबर है. पीडीपी के भी एक प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया है.
जैनपोरा से पीडीपी के उम्मीदवार सरजन बरकती का नॉमिनेशन फॉर्म रिजेक्ट हो गया है. इसके बाद पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, जैनापोरा से विधानसभा प्रत्याशी सरजन बरकती का नामांकन खारिज होने की खबर सुनकर दुख हुआ. चुनाव आयुक्त को इस निर्णय के कारणों को सार्वजनिक करना चाहिए. लोकतंत्र विचारों की लड़ाई है और इसमें सभी को भाग लेने का मौका दिया जाना चाहिए.
Sorry to hear about the rejection of assembly nomination form of Sarjan Barkati from Zainpora. Election Commissioner must make the reasons public for this decision. Democracy is a battle of ideas and everyone should be given a chance to participate in it . https://t.co/dUnNuOcZ4O pic.twitter.com/m9W4FHMY3U
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 28, 2024
फिलहाल जेल में हैं सरजन बरकती
बता दें कि जैनपोरा से प्रत्याशी बनाए गए सरजन बरकती फंडिंग से जुड़े एक मामले में फिलहाल जेल में हैं. वहीं अब उनका पर्चा रद्द कर दिया गया है, ऐसे में वह अब चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
महबूबा मुफ्ती ने किया ये ऐलान
उधर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को ऐलान किया कि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री बन भी गईं तो भी वह केंद्र शासित प्रदेश में अपनी पार्टी का एजेंडा पूरा नहीं कर पाएंगी.
मुफ्ती ने आगे कहा, "मैं बीजेपी के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं, जिसने (2016 में) 12,000 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ले ली थी. क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं? मैंने (प्रधानमंत्री) मोदी के साथ सरकार की मुख्यमंत्री के रूप में अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पत्र लिखा था. क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? मैंने जमीनी स्तर पर संघर्ष विराम (लागू) करवाया। क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? अगर आप मुख्यमंत्री के तौर पर प्राथमिकी वापस नहीं ले सकते, तो ऐसे पद का क्या मतलब है."
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