Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव होंगे. जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित किए जाने के बाद यहां पहली बार चुनाव होने वाले हैं तो पूर्ण राज्य का दर्जा समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर यह चुनाव लड़ा जाएगा. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन किया गया है. परिसीमन के बाद जम्मू क्षेत्र में 6 सीट बढ़ाए गए हैं और यह  43 सीट हो गई है जो कि पहले 37 थी. परिसीमन के बाद 47 सीट कश्मीर क्षेत्र में हैं जिसकी संख्या पहले 46 थी. 


चुनाव की तारीख


जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे. पहला फेज 18 सितंबर, दूसरा फेज 25 सितंबर और तीसरा फेज 1 अक्टूबर को होगा. नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.


चुनाव से जुड़ी अहम बातें


जम्मू-कश्मीर का चुनाव बेहद ऐतिहासिक होने जा रहा है. यह आर्टिकल 370 हटने के बाद पहला चुनाव है. 370 अक्टूबर 1949 में लागू हुआ था. 370 लागू होने के बाद पहला चुनाव 1962 में हुआ था. इसके लागू होने के बाद अब तक 10 चुनाव हो चुके हैं. जम्मू-कश्मीर में बीते पांच वर्षों में काफी परिवर्तन हुआ है. यहां सीटों की संख्या पहले 87 थी जो कि बढ़कर अब 90 हो गई है. वहीं, पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने भी अपनी पार्टी लॉन्च कर ली है. 


नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियां लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही हैं तो वहीं उमर अब्दुल्ला ने तो पूर्ण राज्य घोषित ना करने पर चुनाव ना लड़ने का भी ऐलान कर दिया है. आखिर में जम्मू-कश्मीर में वे कौन से मुद्दे होंगे जिनपर चुनाव लड़ा जाएगा? 


चुनाव में उठेंगे ये मुद्दे


जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद चुनाव होने वाला है. ऐसे में इस चुनाव में अनुच्छेद 370 को जोर-शोर से उठाए जाने की संभावना है. 2019 में जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया था जिसे वापस इसमें शामिल करने की भी मांग उठेगी. हाल के समय में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में तेजी आई है और सुरक्षाबलों पर हमले तेज हो गए हैं जिस पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा भी निश्चित रूप से उठाया जाएगा. 


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