Jammu Kashmir News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जम्मू-कश्मीर की संशोधित मतदाता सूची में ''गैर स्थानीय मतदाताओं'' को शामिल करने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के खिलाफ ''जवाबी रणनीति'' तय करने के लिए सोमवार को यहां अपने नेताओं की एक बैठक बुलाई है. पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया कि बीजेपी की जम्मू-कश्मीर की इकाई के अध्यक्ष रविंद्र रैना (Ravindra Raina)ने पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई है.


फारूक अब्दुल्ला ने बुलाई है सर्वदलीय बैठक
प्रवक्ता ने बताया कि गैर-स्थानीय मतदाताओं को संशोधित मतदाता सूची में शामिल करने के मुद्दे पर श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई ''सर्वदलीय'' बैठक के ''खिलाफ रणनीति'' तय करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है. केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिरदेश कुमार द्वारा संशोधित मतदाता सूची में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले ''गैर-स्थानीय मतदाताओं को शामिल करने'' की बात कहे जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.


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मुख्य निर्वाचन अधिकारी की टिप्पणी है सही
प्रशासन ने शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि मतदाता सूची के संक्षिप्त संशोधन के बाद 25 लाख से अधिक मतदाताओं के शामिल होने की खबरों में ''निहित स्वार्थों के चलते तथ्यों को तोड़-मरोड़कर'' पेश किया गया है. बीजेपी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी ''कानूनी और संवैधानिक रूप से'' सही है बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि कानून के तहत, कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और किसी भी कानून द्वारा प्रतिबंधित नहीं है, वह किसी भी क्षेत्र, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता बनने का विकल्प चुन सकता है, जहां वह सामान्यत: रहता है.


जम्मू कश्मीर के लोगों ने किया है फैसला स्वीकार
सेठी ने कहा, '' जम्मू-कश्मीर में भी इसे ही लागू किया गया है. धारा 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म किए जाने के बाद एक भारत एक कानून होना चाहिए.'' इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर मामले को ''गलत तरह से पेश करने'' का आरोप लगाया. सेठी ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, '' वे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में एक तरह का अपवाद चाहते हैं, जो कि स्वीकार्य नहीं है. जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बिना किसी अपवाद या आरक्षण के फैसले (पांच अगस्त 2019 के) को स्वीकार किया है. राजनीतिक दलों को यह समझना होगा और इसे स्वीकार करना होगा.''


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