Jammu Kashmir Chunav 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले दो चरण में जिन 50 सीटों पर चुनाव होने हैं, उन पर बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. क्या इस बार निर्दलीय उम्मीदवार जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दलों का खेल बिगाड़ देंगे या ये लोग सिर्फ वोट कटवा साबित होंगे? अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की मानें तो निर्दलीय उम्मीदवारों को उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए चुनाव लड़वाया जा रहा है. ये सभी या तो एजेंसियों द्वारा लगाए गए हैं या फिर बीजेपी के प्रतिनिधि हैं.


पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने निर्दलीय उम्मीदवारों और अन्य अपंजीकृत पार्टियों पर हमला करते हुए उन्हें बीजेपी का प्रतिनिधि करार दिया है. दक्षिण कश्मीर में अपनी बेटी और अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रही महबूबा ने आरोप लगाया कि ये सभी उम्मीदवार बीजेपी द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए हैं.


जीते तो निभाएंगे किंगमेकर की भूमिका!


बता दें कि पहले दो चरणों के मदातन को लेकर नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. पहले दो चरण में 214 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. पहले दो चरण में कुल उम्मीदवारों में से 44 प्रतिशत से अधिक निर्दलीय प्रत्याशी हैं. माना जा रहा है कि इनमें कुछ निर्दलीय चुनाव जीत गए तो वो सरकार के गठन में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.


स्वतंत्र उम्मीदवारों में जेल में बंद सांसद इंजीनियर अब्दुल रशीद शेख के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी), प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई), मुख्य राजनीतिक दलों के असंतुष्ट और बागी के अलावा जेल में बंद कई राजनीतिक कैदी और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोग शामिल हैं.


गांदरबल पर क्यों है सबकी नजर? 


जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर इस बार सभी की नजरें उमर अब्दुल्लाह को लोकसभा चुनाव में हराने वाले इंजीनियर रहीद की आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) पर है. लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी उमर अब्दुल्लाह को गांदरबल से जेल में बंद एक और निर्दलीय सर्जन बरकाती चुनावी टक्कर दे रहा है. यही वजह है कि उमर अब्दुल्ला खुद के लिए इसे एक सियासी साजिश मान रहे हैं.


उमर अब्दुल्ला ने गादरबल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, "पहले जेल में बंद इंजीनियर रशीद को मेरे खिलाफ खड़ा किया और चुनाव को भावनात्मक मुद्दा बनाकर मुझे हराया गया. अब दिल्ली साजिश के तहत जेल में बंद बरकाती को मेरे खिलाफ चुनाव में खड़ा किया गया है. बड़ी संख्या में निर्दलय उमीदवारों को मैदान में उतरने के पीछे एहि मकसद है." 


सबसे ज्यादा चर्चा में आवामी इत्तेहाद पार्टी 


इस बार आवामी इत्तेहाद पार्टी के साथ बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं. आवामी इत्तेहाद पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से विधानसभा चुनाव के पहले दो चरणों में 26 उम्मीदवार उतारे हैं. महबूबा मुफ्ती के अनुसार बड़ी संख्या में निर्दलीय उमीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने और उनके प्रचार के लिए जिस आर्थिक समर्थन की जरुरत होती है, वह एक जेल में बंद आदमी कैसे कर सकता है?


साफ है कि पहले बीजेपी के प्रॉक्सी के तौर पर अपनी पार्टी और पीपल्स कांफ्रेंस वाले थे और अब आवामी इत्तेहाद पार्टी है. पहले चरण के चुनाव में कम से कम 24 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है. जबकि 92 उम्मीदवार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.


कहां पर कितने निर्दलीय उम्मीदवार?


जम्मू-कश्मीर के पंपोरा निर्वाचन क्षेत्र से सात उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. त्राल निर्वाचन क्षेत्र से छह, पुलवामा से सात, राजपोरा से दो, जैनापोरा से चार, शोपियां से छह, डीएच पोरा से दो, कुलगाम से चार, देवसर से तीन, डूरू से चार, कोकरनाग (एसटी) से छह, अनंतनाग पश्चिम से तीन, अनंतनाग से पांच, शांगस अनंतनाग-पूर्व से छह, पहलगाम से दो, इंदरबल से चार, किश्तवाड़ से तीन, पद्दर-नागसेनी से तीन, भद्रवाह से तीन, डोडा से तीन, डोडा-पश्चिम से दो, रामबन से पांच और बनिहाल विधानसभा क्षेत्र से दो निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.


दूसरे चरण में गंदेरबल विधानसभा क्षेत्र से सात, हजरतबल से पांच, खानयार से छह, हब्बा कदल से सात, लाल चौक से पांच, चनापोरा से तीन, जदीबल से सात, ईदगाह से आठ, सेंट्रल शाल्टेंग से आठ, बडगाम से पांच, बीरवाह से सात, खानसाहिब से चार, चरार ए शरीफ से पांच, चदूरा से दो, गुलाबगढ़ (एसटी) से दो, रियासी से चार, श्री माता वैष्णो देवी से चार, कालाकोट-सुंदरबनी से पांच, नौशेरा से एक, राजौरी (एसटी) से सात, बुधल (एसटी) से एक, थानामंडी (एसटी) से दो, सुरनकोट (एसटी) से छह, पुंछ हवेली से चार और मेंढर (एसटी) क्षेत्र से सात निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. और सब से ज्यादा आठ निर्दलीय उम्मीदवार सेंट्रल-शाल्टेंग और ईदगाह निर्वाचन क्षेत्रों में हैं.


दिलचस्प बात यह है कि महबूबा मुफ्ती के निशाने पर जहां निर्दलीय उम्मीदवार हैं, वहीं श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र जहां उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चुनाव लड़ रही हैं. वहां कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार नहीं है और मैदान में केवल एनसी के बशीर अहमद शाह वीरी और बीजेपी के सोफी यूसुफ ही उम्मीदवार हैं. इस सीट के अलावा, अभी तक कंगन (एसटी) सीट से से कोई भी निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन करने वाली पीपल्स पार्टी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी और अपनी पार्टी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विरोध में खड़ी दिखाई दे रही हैं.


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