Jammu Kashmir Election Results: जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किए जाने के बाद पहली बार यहां चुनाव कराए गए. यह चुनाव परिसीमन के बाद हुए. 2014 के चुनाव में जहां लद्दाख समेत 87 सीटों पर चुनाव हुए तो वहीं लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के बाद भी सीटों की संख्या बढ़ी और इस बार 90 सीटों पर चुनाव हुए. लेकिन इस परिसीमन का बीजेपी को फायदा हुआ या नुकसान? यही समझने की कोशिश करते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने परिसीमन के लिहाज से 2014 और 2024 दोनों में लगभग समान सीटें जीती हैं. केंद्र शासित प्रदेश में जम्मू रीजन के सीटों की संख्या 2014 में 67.6 प्रतिशत थी. 2024 में 67.4 प्रतिशत है. बीजेपी ने जम्मू रीजन में 30 में से 29 सीटें जीत ली हैं. परिसीमान के बाद जम्मू रीजन में सात अतिरिक्त सीट जोड़ी गई थी. जम्मू हिंदू बहुल क्षेत्र है. संभवत: यहां सीट बढ़ाने का फायदा बीजेपी को हुआ क्योंकि 2014 में वह केवल 25 सीटें ही जीत पाई थी.
हालांकि कश्मीर रीजन में यह कोई सीट नहीं जीत पाई. 2014 में जम्मू कश्मीर में 30.1 प्रतिशत सीट जीती थी तो 2024 में यह बढ़कर 32.2 प्रतिशत हो गई. जम्मू के विभिन्न जिलों में हिंदुओं का वोट शेयर कठुआ में सबसे अधिक 93.4 प्रतिशत है. जम्मू में 91.7, उधमपुर 87.4, सांबा में 81.9, रियासी 45.6, डोडा में 40.6, किश्तवाड़ में 39.9, राजौरी में 24.4, रामबन में 16.9, और पूंछ में 3.0 प्रतिशत है.
जिलेवार बीजेपी ने जीतीं कितनी सीटें
2024 में बीजेपी ने कठुआ में 6 में से 5 सीटें जीतीं. जम्मू की 11 में 10, उधमपुर की 4 में से चार, सांबा की सभी तीन, रियासी की तीन में से दो, डोडा की तीन में से दो, किश्तवाड़ की तीन में से दो, राजौरी की पांच में से एक, रामबन और पूंछ में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई.
2014 में कैसा था जिलेवार प्रदर्शन
जबकि 2014 में परिसीमन से पहले कठुआ की 5 में से पांच, जम्मू की 11 में से 9, उधमपुर की तीन में से दो, सांबा की दो में से दो, रियासी की तीन में से एक, डोडा की दो में दो, किश्तवाड़ की दो में से एक, राजौरी की 4 में दो, रामबन की दो में एक सीट जीती थी. पुंछ में यह खाता नहीं खोल पाई थी.
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