Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर में बीजेपी आखिर क्यों पिछड़ी? कश्मीर रीजन में उसे वोट क्यों नहीं मिला? ऐसे तमाम सवालों के बीच एक और तथ्य सामने आया है वह यह कि बीजेपी जम्मू रीजन में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षित सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई. यहां एसटी के लिए सात आरक्षित सीटें हैं. 


जम्मू कश्मीर में बीजेपी दूसरे स्थान पर रही और जम्मू रीजन के मतदाओं ने जमकर वोट लुटाए और इसने 29 सीटें जीत लीं. इतना ही नहीं उसने हिंदू बहुल जम्मू रीजन की अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षित सभी सीटें जीत लीं. एसटी के लिए आरक्षित जम्मू रीजन की सीटें कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन और निर्दलियों ने जीतीं.


आरक्षण देने के बाद भी नहीं मिले बीजेपी को वोट
जम्मू में सात सीटें एससी और छह एसटी के लिए आरक्षित है. हालांकि बीजेपी  एसटी के लिए आरक्षित एक भी सीट नहीं जीत पाई. ये सीटें राजौरी, पुंछ और रियासी जिले में हैं.  बीजेपी का एक भी एसटी सीट ना जीतना हैरान करता है क्योंकि ये सीटें 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लिए गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की बीजेपी ने एसटी कम्युनिटी में पहाड़ियों को जोड़ दिया. पुंछ और राजौरी जिले में पहाड़ियों वोटरों की सबसे अधिक संख्या है लेकिन इस फैसले का बीजेपी को कोई फायदा नहीं मिला. 


पहाड़ी बहुल क्षेत्र में हारे बीजेपी के ये दो प्रत्याशी
बीजेपी के चौधरी जुल्फिकार अली को बुढ़ाल और मुर्तजा खान को मेंढर से उतारा था. दोनों को नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशियों ने हरा दिया. जुल्फिकार गुज्जर और मुर्तजा पहाड़ी समुदा से हैं. कांग्रेस के पहाड़ी नेता इफ्तिकार अहमद ने बीजेपी के विबोध गुप्ता को हराया जो कि खुद पहाड़ी हैं. विबोध गुप्ता को राजौरी में हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ कांग्रेस ने जम्मू रीजन में अपना खाता खोला. 


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