Jammu Kashmir Election Voting Percentage: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में वोटिंग हो चुकी है. अब सभी को 5 अक्टूबर और 8 अक्टूबर का इंतजार है, जब एक्जिट पोल और चुनाव रिजल्ट आएंगे.


अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. यहां 63.45 फीसदी लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. कुल मतदान 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले थोड़ा कम है, हालांकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से ज्यादा है. 


दिलचस्प है कि इस बार सोपोर और बारामूला में तीन दशक बाद सबसे अधिक वोटिंग हुई, जहां इतिहास में चुनाव का बहिष्कार होता आया है.


पिछली बार कितनी हुई थी वोटिंग?


इस बार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 सितंबर को 61.38 प्रतिशत और 25 सितंबर को दूसरे चरण में 57.31 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि अंतिम चरण में 69.65 प्रतिशत दर्ज किया गया. लोकसभा चुनाव में 57.89 प्रतिशत और 2014 के विधानसभा चुनाव में 65.84 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 


जम्मू जिले के मढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 81.47 प्रतिशत, छंब में 80.34 प्रतिशत, अखनूर में 79.73 प्रतिशत और गुरेज में 78.04 प्रतिशत मतदान हुआ. बारामूला जिले के सोपोर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 45.32 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बारामूला विधानसभा में 53.90 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया.


चुनाव आयोग ने क्या कहा?


चुनाव आयोग ने बताया कि 2014 में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 2024 में 90 हो जाने के बावजूद इस बार चुनाव तीन चरणों में पूरे किए गए. 2014 में पांच चरणों में पूरे किए गए थे. आयोग ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कोई पुनःमतदान नहीं हुआ.


ईसी ने कहा, ''यह 2014 की तुलना में बड़ा सुधार है. 2014 में 170 से अधिक घटनाएं घटी थीं, जिनमें से 87 घटनाएं मतदान के दिन हुई थीं.'' अधिकारी ने कहा कि इन चुनावों में राजनीतिक पदाधिकारियों की मनमाने ढंग से हिरासत से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली है, जो अभूतपूर्व है. 


LG मनोज सिन्हा क्या बोले?


वोटिंग के बाद जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने खुशी जताई. उन्होंने कहा, ''तीनों चरणों में मतदाताओं में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए जबरदस्त उत्साह जम्मू-कश्मीर में जीवंत लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों में लोगों की आस्था का प्रमाण है. पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष विधानसभा चुनाव 2024 को जम्मू-कश्मीर चुनाव के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.''


पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने पहली बार किया वोट


इस चुनाव में पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने पहली बार वोट डाला. रुलदू राम ने खुशी जताते हुए कहा कि ‘‘मैंने पहली बार मतदान किया. इससे पहले मुझे वोट देने का अधिकार नहीं था. हम 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान से आये थे.’’ जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 1.5 से दो लाख लोग तीन समुदायों - पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी (डब्ल्यूपीआर), वाल्मीकि और गोरखा- के सदस्यों को अनुच्छेद 370 और 35-ए के निरस्त होने के बाद मूल निवासी का दर्जा प्राप्त हुआ है. 


अब वे जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी बन गए हैं और उन्हें विधानसभा चुनाव में वोट देने, रोजगार, शिक्षा और भूमि स्वामित्व का अधिकार मिल गया. इससे पहले वे केवल लोकसभा चुनाव में ही वोट दे सकते थे. 


(इनपुट भाषा से भी)


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