इंजीनियर राशिद की जमानत की टाइमिंग पर विपक्ष ने उठाए सवाल, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?
Jammu Kashmir Assembly Elections: टेरर फंडिंग के केस में गिरफ्तार इंजीनियर राशिद को जमानत मिल गई है. यह जमानत उन्हें चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए दी गई है.
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले दिल्ली की एक अदालत ने बारामूला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद (Engineer Rashid) को 2 अक्टूबर तक चुनाव प्रचार के लिए जमानत दे दी है. वो आज (11 सितंबर) जेल से बाहर आए. इसको लेकर विपक्षी सवाल उठा रहे हैं. इंजीनियर राशिद को टेरर फंडिंग (Terror Funding) के केस में गिरफ्तार किया गया था.
राशिद की पार्टी ने अब तक आवामी इत्तेहाद पार्टी ने चुनाव में 34 प्रत्याशी उतारे हैं, अभी तीसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया समाप्त नहीं हुई है. माना जा रहा है कि अगर वह प्रचार में उतरे तो उनकी पार्टी को इससे मजबूती मिलेगी. उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी की आवामी इत्तेहाद पार्टी के अलावा कुछ अन्य छोटी पार्टियों के साथ कोई डील है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती ने पूछा कि राशिद की पार्टी को इतने प्रत्याशी उतारने के लिए संसाधन कहां से मिल रहे हैं जबकि राशिद जेल में हैं.
वहीं, राशिद को मिली जमानत पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''हमें इस बात की जानकारी थी कि ऐसा होगा. मुझे बारामूला संसदीय क्षेत्र की जनता के लिए अफसोस हो रहा है कि उनकी सेवा करने या संसद में मौजूद रहने के लिए उन्हें बेल नहीं मिली लेकिन वोट लेने के लिए वह यहां हैं. इसके बाद वह वापस तिहाड़ जेल चले जाएंगे. ऐसे में उत्तर कश्मीर के पास कोई जनप्रतिनिधि नहीं होगा.''
विपक्ष ने राशिद को बीजेपी का प्रॉक्सी बताया
महबूबा मुफ्ती ने राशिद की पार्टी को बीजेपी का प्रॉक्सी बताया है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह अच्छी बात है कि महबूबा मुफ्ती ने सावर्जनिक रूप से यह कहा जो कई लोग सोच रहे थे.
राशिद की पार्टी के प्रत्याशी सरकार के करीबी- पीडीपी
उधर, पीडीपी नेता नईम अख्तर ने कहा कि इंजीनियर राशिद को जमानत मिलने पर हमें कोई ईर्ष्या नहीं है लेकिन कई सवाल पैदा हुए हैं. राशिद की प्राथमिक जिम्मेदारी उन लोगों का प्रतिनिधित्व करना है जिन्होंने उन्हें चुना है और वह ऐसा करने के लिए आजाद नहीं है. अचानक वह पार्टी बनाते हैं और कैंडिडेट उतार देते हैं. इनमें से कई हैं जो सरकार के करीबी माने जाते हैं.
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