जम्मू-कश्मीर में बिजली की भारी कमी का करना पड़ सकता है सामना, विशेषज्ञों ने दी ये चेतावनी
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में बिजली खरीदना मुश्किल हो गया है, क्योंकि बिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन में लगभग 60% की गिरावट आई है और बढ़ती देनदारी 35,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
Jammu Kashmir Electricity News: जम्मू-कश्मीर में बिजली की परेशानी बढ़ गई है, जिस कारण वहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार तत्काल कदम उठाने में विफल रहती है तो जम्मू-कश्मीर को इस सर्दी में बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा. मुख्य नदियों में पानी के बहाव में कमी के कारण जम्मू-कश्मीर में कई पन बिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन में लगभग 60% की गिरावट आई है. वहीं बिजली की बढ़ती देनदारी 35,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जिससे बिजली खरीदना और भी मुश्किल हो गया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में पिछले कुछ दिनों में लगभग 60-62% की गिरावट देखी गई है. चिनाब नदी पर बगलिहार और सलाल पनबिजली परियोजनाओं की बिजली उत्पादन क्षमता में लगभग 50% की गिरावट आई है, क्योंकि नदी में पानी का बहाव भी कम हो गया है.
450 मेगावाट बिजली का हो रहा उत्पादन
बता दें कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर अपनी कुल क्षमता लगभग 1200 मेगावाट में से लगभग 450 मेगावाट प्रतिदिन बिजली का उत्पादन कर रहा है. रामबन के पास बगलिहार बिजली परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 900 मेगावाट है, जबकि जम्मू-कश्मीर को अन्य परियोजनाओं से 300 मेगावाट बिजली मिल रही है. हालांकि, गर्मियों में कम बारिश और पिछली सर्दियों में बर्फबारी के कारण कश्मीर की नदियों में पानी का बहाव भी काफी कम हो गया है. इसके साथ ही घाटी में जल विद्युत परियोजनाओं में बिजली उत्पादन भी इन सर्दियों में बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
सूत्रों ने कहा, "जम्मू में बिजली की कुल पीक डिमांड 1100 मेगावाट है, जबकि कश्मीर में बिजली की पीक डिमांड लगभग 1600 मेगावाट है. इसका मतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिजली की कुल पीक डिमांड 2700 मेगावाट है. पीक सीजन के दौरान जम्मू-कश्मीर में कमी को पूरा करने के लिए लगभग 2100 मेगावाट बिजली केंद्रीय एक्सचेंज/ग्रिड या अन्य स्रोतों से खरीदी जाती है."
2022-23 के दौरान बिजली खरीद बिल 9886 करोड़ रुपये, 2021-22 के दौरान 9008 करोड़ रुपये और 2020-21 के दौरान 7847 करोड़ रुपये था. पिछले वर्ष यह बिल करीब 7500 करोड़ रुपये था. इस वर्ष यह बकाया 35,175 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
मांग बढ़ने से बिजली कटौती
जेपीडीसीएल/जेकेपीसीएल के प्रबंध निदेशक यासीन मोहम्मद चौधरी ने कहा कि एहतियात के तौर पर विभाग ने अनुसूचित बिजली कटौती लागू की है और दिन के समय कटौती का कार्यक्रम पहले ही लागू कर दिया गया है. यासीन ने कहा कि विशेष योजना के तहत जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को 393 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी. यूपी पावर कॉरपोरेशन के साथ कुछ व्यवस्था होने पर जेकेयूटी को करीब 150 से 200 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी साथ ही वर्तमान में दोनों क्षेत्रों में बिजली की स्थिति बेहतर है और हम इन सर्दियों के दौरान लोगों को आरामदायक बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, अगर मांग बढ़ती है और राजस्व प्राप्ति का अंतर बढ़ता है, तो अधिक गंभीर बिजली कटौती अपरिहार्य हो जाएगी.
यासीन ने कहा कि केंद्र से बिजली की खरीद करने वाले जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की आज की तारीख में 35,175 करोड़ रुपये की बिजली देनदारी है. 2020-21 के दौरान यह देनदारी 16,580 करोड़ रुपये थी, 2021-22 के दौरान यह बढ़कर 23,468 करोड़ रुपये हो गई और 2022-23 के दौरान 31,889 रुपये तक पहुंच गई. जेपीडीसीएल ने जम्मू क्षेत्र में 2347 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया, जबकि केपीडीसीएल ने कश्मीर में 1867 करोड़ रुपये कमाए. जेकेयूटी में कुल राजस्व प्राप्ति 4214 करोड़ रुपये थी. इसलिए, यूटी के कुल बिजली बिल के मुकाबले 3286 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. यह राशि पिछले साल की देनदारी के रूप में बकाया रही, जो पिछले 4 वर्षों के दौरान बढ़ती रही.
यह भी पढ़ें: 'कोई एप्लिकेशन लॉन्च नहीं ', जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने फर्जी ऐप को लेकर किया सचेत