जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव पर बड़ा अपडेट, LG मनोज सिन्हा ने लिया ये फैसला
Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव कैबिनेट में पारित किया गया था. यह प्रस्ताव एलजी मनोज सिन्हा को मंजूरी के लिए बढ़ाया गया था.
Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) के नेतृत्व वाली कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया गया था.
जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन की जरूरत है. यह केंद्र सरकार को ही लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पारित कर कराना होगा. इसे राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भी भेजना होगा.
उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट मीटिंग में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने से जुड़ा प्रस्ताव लाया गया लेकिन अनुच्छेद 370 और 35 ए को लेकर कोई जिक्र नहीं हुआ. बता दें कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था और इससे लद्दाख के क्षेत्र को अलग कर उसे भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था.
वहीं, अनुच्छेद 370 को भी निरस्त कर दिया गया था. उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने का मुद्दा अपने मेनिफेस्टो में भी शामिल किया था और कैबिनेट में सबसे पहले इसपर ही प्रस्ताव लाया गया. ऐसी जानकारी गुरुवार को सामने आई थी कि इस प्रस्ताव का मसौदा पीएम नरेंद्र मोदी को भी सौंपा जाएगा और खुद उमर अब्दुल्ला इसके लिए दिल्ली जाएंगे.
कांग्रेस ने खुद को क्या रखा अलग-थलग?
बता दें कि कांग्रेस ने मंत्रिमंडल में शामिल ना होने का निर्णय लिया है. पार्टी का कहना है कि जब तक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता तब तक पार्टी कैबिनेट में शामिल नहीं होगी. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को एक मंत्री पद ऑफर किया था.
केंद्र शासित प्रदेश बनने से बंध गए उमर के हाथ
जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यहां पहली बार चुनाव कराए गए. चूंकि राज्य का दर्जा ना होने पर कई अधिकार अब एलजी के पास हैं. सीएम उमर अब्दुल्ला के अधिकार काफी सीमित होंगे. वहीं, नए नियमों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में मंत्रियों की संख्या सीएम को मिलाकर 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए. यह संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का केवल 10 प्रतिशत हो सकती है.
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