Jammu-Kashmir News: देश में पिछले कुछ सालों में गैस सिलेंडर पर खाना बनाने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी है. हालांकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चूल्हे पर ही खाना बनता है. वहीं जम्मू-कश्मीर में भी लोग खाना बनाने के लिए अभी भी अपने पारंपरिक चूल्हे 'दान' का इस्तेमाल कर रहे हैं. अनंतनाग में रहने वाले अब्दुल गनी खान ने बताया कि वे गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में खाना बनाने के लिए चूल्हे का ही इस्तेमाल करते हैं.
अब्दुल गनी खान ने बताया कि इसके लिए वे गर्मी के मौसम में लकड़ी लाते हैं और सर्दी में वो ही लकड़ी जलाते हैं. उन्होंने कहा कि दान पर बने खाने का स्वाद ही अलग है. हम गैस और हीटर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, वो महंगा पड़ता है. अब्दुल गनी खान ने कहा कि पुराने जमाने से खाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है. कश्मीर में ऐसे बहुत से परिवार हैं, जिनके घर में आज भी इन्हीं लकड़ियों से चूल्हे पर खाना बनता है.
गौरतलब है कि सर्दियों के मौसम में लकड़ी लाकर जलाने में इसलिए कठिनाई होती है, क्योंकि ओस की वजह से भीगी रहती है. ऐसे में उन लकड़ियों को जलाना थोड़ा मुश्किल होता है. वहीं गर्मियों में लोग लकड़ियां लाकर इकट्ठा कर लेते हैं और इसका इस्तेमाल सर्दियों के मौसम में करते हैं. सर्दियों के मौसम में चूल्हे पर खाना बनाना से थोड़ी ठंड से भी राहत मिलती है.
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