Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर चुनावी वादे को ध्यान में रखते हुए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन अनुच्छेद 370 और 35ए के राजनीतिक रूप से विवादास्पद मुद्दे को नहीं छुआ है. 


आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, गुरुवार (17 अक्टूबर) को अपनी पहली बैठक के दौरान, जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. सूत्रों के अनुसार "प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया गया है और मुख्यमंत्री कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्ताव का मसौदा सौंपने के लिए नई दिल्ली जाएंगे, जिसमें उनसे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया जाएगा."


बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री ने की और इसमें उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और मंत्री सकीना मसूद इटू, जावेद अहमद राणा, जावेद अहमद डार और सतीश शर्मा शामिल हुए. प्रस्ताव पारित होने को कैबिनेट बर्थ की संख्या को लेकर कांग्रेस के साथ राजनीतिक विवाद को सुलझाने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है. कांग्रेस जेकेपीसीसी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने 16 अक्टूबर को संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी जम्मू-कश्मीर मंत्रिमंडल में तब तक शामिल नहीं होगी जब तक कि राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता.


एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी विश्वास जताया था कि केंद्र जल्द ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल कर देगा. अब्दुल्ला ने कहा, "हमने पहले भी राज्य के दर्जे के बारे में बात की है और आज भी सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है. मुझे यकीन है कि भारत सरकार जल्द ही इसे बहाल करेगी."


'दलीलें पेश करने अदालत जाएंगे'
जब उनसे पूछा गया कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाएगी या विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करेगी, तो अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें अपनी दलीलें पेश करने के लिए अदालत में वापस जाना होगा.


2019 में निरस्त हुई थी धारा 370
पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था, जब भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था.


हालांकि प्रस्ताव का आधिकारिक मसौदा अभी भी प्रतीक्षित है, लेकिन पुलवामा से पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा ने ट्विटर पर अब्दुल्ला पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने प्रस्ताव के माध्यम से अनुच्छेद 370 को हटाने की पुष्टि की है.


"उमर अब्दुल्ला का राज्य के दर्जे पर पहला प्रस्ताव 5 अगस्त, 2019 के फैसले की पुष्टि से कम नहीं है. अनुच्छेद 370 पर कोई प्रस्ताव नहीं होना और केवल राज्य के दर्जे की मांग को सीमित करना एक बहुत बड़ा झटका है, खासकर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के वादे पर वोट मांगने के बाद." वहीद ने ट्विटर पर लिखा.


प्रस्ताव के साथ ही कैबिनेट ने पहले विधानसभा सत्र की तैयारियों के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया, जहां नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी.


नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और सातवीं बार विधायक बने अब्दुल रहीम राथर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के नए अध्यक्ष हो सकते हैं. वहीं मुबारक गुल, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार में करीब दो साल तक अध्यक्ष रहे और सातवीं बार विधायक भी हैं, को प्रोटेम स्पीकर के तौर पर शपथ दिलाई जा सकती है. यह शपथ सोमवार या मंगलवार को ली जा सकती है. 


नेशनल कॉन्फ्रेंस नेतृत्व अभी तक इस बात पर अनिर्णीत है कि डिप्टी स्पीकर का पद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दिया जाएगा या नहीं. वहीं सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा मुख्य विपक्षी दल को यह पद दिए जाने की संभावना बहुत कम है. 


'बीजेपी ने लोकसभा में विपक्ष को नहीं दिया प्रस्ताव'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "लोकसभा में भाजपा ने विपक्ष को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया और इसके अलावा कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि डिप्टी स्पीकर मुख्य विपक्षी दल या विपक्ष से ही होना चाहिए." प्रोटेम स्पीकर को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शपथ दिलाएंगे. इसके बाद वह सभी नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे.


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